Saturday, 28 January 2012

छतीसगढ़ मे सुरेश हिन्दुस्तानी के नाटक की धूम

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Saturday, 21 January 2012

शहीद हेमू कालानी का शहीदी दिवस ऐतिहासिक २८ स्‍थानों


शहीद हेमू कालानी का शहीदी दिवस पूरे प्रान्‍त में श्रद्वापूर्वक
ऐतिहासिक २८ स्‍थानों पर श्रद्वांजली कार्यक्रम
सिन्‍ध के सपूत और प्रसिद्व और अमर शहीद हेम कालानी का शहीद दिवस  आज पूरी श्रद्वा के साथ सम्‍पूर्ण  प्रान्‍त में मनाए जाने के समाचार प्राप्‍त हो रहे है ।
जोधपुर के शहीद हेमू कालानी चोराहे पर आयाजित श्रद्वांजली समारोह में केवल सिन्‍धी समाज ही नहीं वरन सम्‍पर्ण समाज बन्‍धुओं ने पूरी श्रद्वा के साथ पुष्‍पांजली अर्पित कर मनाया ।
भारतीय सिन्‍धु सभा की युवा ईकाई ओर सिन्‍धु यूथ इन्‍टरनेशल जोधपुर के संयुक्‍त तत्‍वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में बडी संख्‍या में स्‍कूली विध्‍यार्थियों के अलावा समाज के गणमान्‍य नागरिकों, जोधपुर विकास प्राधिकरण के अध्‍यक्ष श्रीमान राजेन्‍द्र सोलंकी, सूर्यकान्‍ता व्‍यास जुगल काबरा तथा बडी संख्‍या में समाज बान्‍धवों ने बढचढकर श्रद्वांजली अर्पित की ।
कार्यक्रम में भारतीय सिन्‍धु सभा द्वारा मनाये जा रहे सिन्‍धुपति महाराजा दाहिरसेन के 1300 वे बलिदान वर्ष पर छपाये गये स्‍टीकर्स तथा हेण्‍ड बिल का भी विमोचन किया गया ।
कार्यक्रम में भारतीय सिन्‍धु सभा की युवा ईकाई  के प्रदेशाध्‍यक्ष अशोक मूलचन्‍दानी, जोधपुर महानगर ईकाई के श्री तीरथ डोडवाणी, श्री प्रदीप गेहानी श्री भरत आवतानी, श्री संजय श्री ईश्‍वर कलकाणी, श्री लक्ष्‍मण मूलचन्‍दानी तथा बहिन कृपलाणी आदि उपस्थित थे ।
कार्यक्रम का संचालन अशोक  मूलचन्‍दानी ने किया । 

Wednesday, 11 January 2012

सिन्धुपति महाराजा दाहिरसेन के 1300 वे बलिदान वर्ष मे प्रचार सामग्री के विमोचन के दृश्य






सिन्धुपति महाराजा दाहिरसेन के 1300 वे बलिदान वर्ष मे प्रचार सामग्री के विमोचन के दृश्य 

Tuesday, 10 January 2012

अजमेर के इश्वर मनहर उदासीन आश्रम मे आयोजित सामुहिक जनेउ संस्कार के दृश्य






अजमेर के इश्वर मनहर उदासीन आश्रम मे आयोजित सामुहिक जनेउ संस्कार के दृश्य 

Monday, 9 January 2012

अजमेर में स्वामी ईश्वर मनोहर उदासीनआश्रम द्वारा आयोजित सामूहिक जनेउ संस्कार के द्श्य


अजमेर में स्‍वामी ईश्‍वर मनोहर उदासीनआश्रम द्वारा आयोजित सामूहिक जनेउ संस्‍कार के द्श्‍य 

विश्‍व हिन्‍दू परषिद अजमेर द्वारा भीलवाडा के सन्‍त स्‍वामी हंसराज जी के नेतत्त्‍व में आयोजित प्रदर्शन


विश्‍व हिन्‍दू परषिद अजमेर द्वारा भीलवाडा के सन्‍त स्‍वामी हंसराज जी के नेतत्त्‍व में आयोजित प्रदर्शन के द्श्‍य
1.       पाकिस्‍तान एवं चीन में हिन्‍दुओं पर हो रहे अत्‍याचार बन्‍द हो
2.       हिन्‍दुओं के जबरन र्ध्‍मान्‍तरण पर भारत सरकार द्वारा प्रभावी रोक एवं विरोध हो ।
पाकिस्‍तान एवं बांगलादेश से धर्म रक्षार्थ भारत आए हिन्‍दू नागरिकों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाये । 




3.       

Thursday, 5 January 2012

पाठकीय

स्रोत: Panchjanya - Weekly तारीख: 12/24/2011 5:35:15 PM

पाठकीय

अंक-सन्दर्भ थ्4 दिसम्बर,2011

पुरस्कृत पत्र

पाकिस्तानी हिन्दुओं से विश्वासघात

इससे बड़ा झूठ और कुछ नहीं हो सकता कि कांग्रेसियों के स्वतंत्रता आंदोलन चलाने से आजादी प्राप्त हुई। यदि कांग्रेसी नेताओं का आंदोलन देश को स्वतंत्रता दिलाने का पर्याप्त कारण था, तो देश का विभाजन क्यों स्वीकार किया गया? सच बात तो यह है कि जनता ने कांग्रेस को स्वतंत्रता की आशा में समर्थन दिया, परन्तु स्वतंत्रता मुख्य रूप से कांग्रेस के आंदोलन से नहीं, अपितु भारत माता के टुकड़े कर आजादी खरीदी गई। यह घोर अनर्थ था। इस अनर्थ का दुष्परिणाम हिन्दू आज तक भुगत रहे हैं। पाकिस्तान स्थित हिन्दू भारत माता को अपनी माता मानते थे, उन्हें बिना किसी अपराध के विदेशी बनना पड़ा। कांग्रेस के नेता उन हिन्दुओं के अपराधी हैं, जो बिना अपनी किसी गलती के विदेशी बना दिये गये, परन्तु कांग्रेस के नेताओं ने अपने इस अपराध को कभी याद नहीं किया। उस समय सरदार पटेल ने जनसंख्या की अदला-बदली की बात भी कही थी, परन्तु उस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। सन् 1951 में भारत में मुसलमान 9 प्रतिशत थे, आज वे 15 प्रतिशत हैं। पाकिस्तान में हिन्दू 22 प्रतिशत थे, अब 1 प्रतिशत से भी कम हैं। यहां विभाजन मांगने वालों के लिए आरक्षण की व्यवस्था हो रही है, वहां आज भी जबरदस्ती हिन्दू लड़कियों को उठाया जाना चालू है। कश्मीर से जो मुसलमान पाकिस्तान चले गऐ थे, उनमें से जो लौटकर आए, उन्हें फिर से नागरिकता प्रदान कर दी गई, परन्तु जो हिन्दू पाक अधिकृत कश्मीर से सन् 1947 में कश्मीर में आए उन्हें आज तक नागरिकता नहीं मिली है।

31 जुलाई 1947 को नेहरू का पाकिस्तान स्थित हिन्दुओं के लिए एक संदेश प्रसारित हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आप पाकिस्तान में ही रहें, भारत मत आइए। वहां आपकी जान-माल की रक्षा की जिम्मेदारी मैं लेता हूं। परन्तु पाकिस्तान स्थित हिन्दुओं के साथ विश्वासघात किया गया। 10 अगस्त 1947 को हिन्दू सैनिकों और हिन्दू पुलिस को वापस भारत बुला लिया गया और इस प्रकार हिन्दुओं को मजहबी कट्टरवादियों के हाथों में सौंप दिया गया। जिन लोगों ने नेहरू पर विश्वास नहीं किया वे अपने प्रयत्नों से अथवा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आर्य समाज अथवा हिन्दू महासभा के प्रयत्नों से सुरक्षित भारत आ गए। जिन्होंने नेहरू पर विश्वास किया, वे आज भी बिलख रहे हैं।

पाकिस्तान में जहां-जहां हिन्दू अधिक संख्या में थे, वहां उन्होंने बने रहने का प्रयत्न किया। परन्तु धीरे-धीरे अधिकांश हिन्दू या तो भारत आ गए या मार डाले गए अथवा मुसलमान बना लिये गये। यदि भारत को स्वतंत्रता दिलाने का श्रेय कांग्रेस लेती है, तो पाक स्थित हिन्दुओं पर अत्याचारों की अपराधी भी कांग्रेस ही है।

पाकिस्तान से आए कुछ हिन्दू आज दिल्ली में हैं और वे भारत में ही रहना चाहते हैं, क्योंकि संस्कृति और धर्म की दृष्टि से वे भारतीय हैं। कांग्रेसी नेताओं के लिए यह उनके पाप के प्रायश्चित का अवसर है। परन्तु पाप का प्रायश्चित करने के स्थान पर इन हिन्दुओं को जबरदस्ती सरकार पाकिस्तान भेजने पर उतारू है, जबकि बंगलादेश से आए मुसलमानों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद वापस नहीं भेजा जा रहा है।

-डा. शशिकान्त गर्र्ग

म.सं.- 152/2, अहीर वाड़ा, कुदन कालोनी बल्लभगढ़, जिला-फरीदाबाद (हरियाणा