Tuesday, 29 November 2011

राजस्थान सिन्धी अकादमी

 नरेष कुमार चन्दनानी द्वारा सिन्धी अकादमी के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण

जयपुर, 28 नवम्बर (वि.) । राजस्थान सिन्धी अकादमी के अध्यक्ष पद पर श्री नरेष कुमार चन्दनानी ने अकादमी कार्यालय में आयोजित सादे समारोह में कार्यभार ग्रहण किया। कार्यभार ग्रहण के अवसर पर पूर्व न्यायाधिपति इन्द्रसेन ईसरानी, प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री चन्दन सुखानी एवं समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे ।

वक्ताआंे ने अपने सम्बोधन में माननीय मुख्यमंत्री महोदय श्री अषोक गहलोत के प्रति आभार प्रकट करते हुये कहा कि माननीय मुख्य मंत्री जी ने सिन्धी समाज की सेवा में समर्पित एक कर्मठ एवं युवा को अकादमी अध्यक्ष की बागडोर सौंपी है, अकादमी श्री चन्दनानी के नेतृत्व में सिन्धी कला, संस्कृति एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन में नये आयाम स्थापित करेगी। श्री चन्दनानी ने अपने सम्बोधन में उपस्थित महानुभावों को विश्वास दिलाया कि उन्हें जो महत्वपूर्ण दायित्व सौपा है उसे वह समाज के सहयोग से सफलतापूर्वक फलीभूत करेंगे ।

समारोह मंे सिन्धी समाज के लगभग 100 गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अकादमी सचिव दीपचन्द तनवाणी ने आगुन्तकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।




(दीपचन्द तनवाणी)
सचिव

Monday, 28 November 2011


हरीशेवा धाम उदासीन आश्रम, भीलवाड़ा
दिनांक - 27.11.2011
सिन्धी समाज का राजनैतिक मांगो के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न
हरि शेवा धाम के महंत हंसराम उदासी ने हिस्सा लिया

सिन्धी समाज का राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 25 नवम्बर 2011 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में ’’सिन्धी समाज की राजनैतिक मांगे’’ विषय सहित विभिन्न मुद्दो पर चर्चा हुई। दिल्ली प्रदेश सिन्धी समाज (पंजी.) द्वारा आयोजित इस  कार्यक्रम के संयोजक श्रीकान्त भाटिया, अंजली तुलस्यानी, सुदेश सचदेवा, महेश राजानी थे।
इस सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री अंबिका सोनी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी, पूर्व मंत्री व राज्यसभा सदस्य, एडवोकेट राम जेठमलानी, अशोक अंशवानी, स.पा. प्रत्याशी गोविन्द नगर लोकसभा क्षेत्र कानपुर, जयप्रकाश अग्रवाल काग्रेंस सांसद, जसपाल सिंह सदस्य काग्रेंस कमेटी, सुरेश केसवानी, मनोज राजानी देवास सहित विभिन्न संस्थाओं, सामाजिक व राजनैतिक संगठनो के पदाधिकारी, कार्यकर्ता व प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य वक्ता भीलवाड़ा से हरिशेवा धाम के महंत स्वामी हंसराम उदासी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि -
सिन्धीयों का अपना कोई राज्य नहीं होने से सिन्धी संस्कृति लुप्त हो रही है, जबकि विभाजन से पूर्व सिन्धी सिन्धु नदी के किनारे बसे हुए थे। सरकार को नदी के किनारे यथा म.प्र. में नर्बदा किनारे, उ.प्र. में गंगा किनारे, अथवा मध्य भारत में अन्यत्र कहीं भी नदी किनारे 1000 से 1500 एकड़ जमीन सिन्धु संस्कृति के विकास के लिए प्रदान करनी चाहिए, जहाँ सिन्धु तीर्थ विकसित हो।
सिन्धी जाति को ओबीसी अथवा अल्पसंख्यक का दर्जा मिलते हुए सभी लाभ मिलने चाहिए। आज सिन्धी समाज में आधे से ज्यादा लोग ठेला, मजदूरी से मेहनत करके अपना जीवन निवर्हन कर रहे है। इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रखना चाहिए। सरकार सबके लिए समान है। 
सरकार को साहित्य अकादमी के लिए लगभग 50 करोड़ का बजट रखना चाहिए, जिससे लुप्त हो रही सिन्धु संस्कृति व सभ्यता के विकास एवं संवर्द्धन हेतु विभिन्न कार्य किये जा सके।
प्रतिवर्ष सिन्धी तीर्थ यात्री जो लेह (लद्दाख) जाते है, उनको अन्य समाज के धार्मिक यात्रियों की तरह अनुदान मिलना चाहिए, जिससे कि निम्न एवं मध्यम वर्गीय भी तीर्थ यात्रा पर जाकर सिन्धु नदी उद्गम स्थल का दर्शन कर सके।
एकता के लिए सिन्धी समाज को अपनी राजनैतिक पार्टी का गठन करना चाहिए, देश में जहाॅ भी सिन्धी बाहुल्य क्षेत्रों हो, वहाॅ से हर प्रकार के राजनैतिक चुनावों में सिन्धी प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए, जिससे विभिन्न स्तरों पर सिन्धी समाज को राजनैतिक सरंक्षण प्राप्त होगा। सिन्धी प्रत्याशी के विभिन्न सदनों में पहुंचने से सिन्धी समाज की विभिन्न उचित समस्याओं के निराकरण में सहायता प्राप्त होगी। जो कि वर्तमान परिपेक्ष में यह कदम आने वाली पीढ़ी के लिए काफी कारगर सिद्ध होगा।
श्री लालकृष्ण आडवानी, पूर्व उप प्रधानमंत्री ने सिन्धी भाषा व संस्कृति को बचाए रखने हेतु विभिन्न योजनायें बनाये जाने पर बल दिया। 
श्री वासुदेव देवनानी, विधायक अजमेर ने कहा कि नई पीढ़ी को सिन्धियत की जानकारी के लिए शिक्षा के विभिन्न पाठ्यक्रमों में सिंध के इतिहास को शामिल करना चाहिए। पाकिस्तान में सिन्धीयों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है, वे भारत आना चाहते है। इस हेतु भारत सरकार को उन्हें नागरिकता प्रदान करनी चाहिए व विभिन्न सहुलियतें उपलब्ध करानी चाहिए तथा सभी राज्यो में सिन्धी अकादमी के गठन पर बल दिया।
श्री श्यामसुदंर रोहरा, उपाध्यक्ष उ.प्र. सिन्धी समाज ने कहा कि सिन्धी समाज बंटवाड़े के समय सिन्ध से भारत आकर बस गये थे, तब उनको यह आश्वासन दिया गया था कि सिन्धी समाज को उचित स्थान व सम्मान प्रदान कराया जायेगा, किन्तु ऐसा नहीं हुआ। अब सिन्धी समाज मुख्य धारा से अलग होता नजर आ रहा है। इस हेतु उचित हो तो सुप्रीम कोर्ट में भी गुहार करनी चाहिए। 
तत्कालीन स.पा. सरकार ने 68 जिलो में सिन्धी सभा की स्थापना कराई। वक्फ बोर्ड व अन्यों की भांति प्रत्येक जिले में राज्य सरकारों द्वारा सिन्धी सभा की स्थापना हो, जिससे सिन्धी संस्कृति का विकास हो सके। कुछ राज्यो में चेटीचण्ड पर्व पर अवकाश घोषित है, इसी प्रकार केन्द्र सरकार व शेष राज्यों द्वारा चेटीचण्ड पर्व पर अवकाश की मांग की गई। 
इसके अलावा सम्मेलन में सिन्धी जाति को राज्यहीन जाति घोषित, केंद्र व राज्य की सरकारी संस्थाओं व निगमों तथा राज्य सभा व लोकसभा में सिन्धी समाज को प्रतिनिधित्व देने, राष्ट्रीय सिन्धी समाज बोर्ड, दिल्ली में सिन्धु भवन का निर्माण, दूरदर्शन पर सिन्धी चैनल, राज्यों में सिन्धी अकादमी, दादा जश्न वासवानी, पंकज आडवानी को भारत रत्न सहित विभिन्न मांगो पर चर्चा की गई।
केन्द्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने आश्वासन दिया कि दूरदर्शन पर सिन्धी चैनल शुरू किया जायेगा तथा अन्य बिन्दुओं हेतु उचित कार्यवाही सरकार के स्तर पर कराये जाने का प्रयास किया जायेगा।

Monday, 14 November 2011

हरिशेवा धाम भीलवाड़ा आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी



भीलवाड़ा। 13 नवम्बर,  ’’महाराज दाहरसेन का बलिदान आज के सन्दर्भ में उतना ही प्रासंगिक है, क्योंकि आज भी हिन्दुस्तान पर विदेशी हमले निरन्तर जारी है, किन्तु हमारी राष्ट्र भावना, एकता मिलकर हमेशा मुहं तोड़ जवाब देती है। ऐसे वीर महापुरूषों के जीवन से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी एवं सिन्ध पुनः मिलकर अखण्ड भारत का स्वरूप बनेगा।’’


उक्त विचार सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1300 वें बलिदान वर्ष के उपलक्ष में हरिशेवा धाम भीलवाड़ा आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व सांसद श्री औंकारसिंह लखावत ने प्रकट किये।
इस अवसर पर हरिशेवा धाम भीलवाड़ा के श्रीमहंत हंसराम साहब ने आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि ’’सनातन संस्कृति की हम सबको जोड़ कर राष्ट्र रक्षा के लिये प्रेरित करती है एवं युवा पीढ़ी ऐसे वीर महापुरूषों के बलिदान से ही देश भक्ति का जज्बा मिलता है।’’
गोष्ठी में नगर परिषद भीलवाड़ा के सभापति अनिल बल्दवा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसे भव्य प्रेरणा केन्द्र की स्थापना भीलवाड़ा में भी शीघ्र की जावेगी।
अ.भारतीय सिन्धी साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी श्यामदास व प्रेम प्रकाश आश्रम अजमेर के स्वामी ब्रह्मानंद शास्त्री ने भी आशीर्वचन प्रदान किये।
गोष्ठी में उदयपुर के श्री श्यामसुंदर भट्ट, राजस्थान सिन्धी अकादमी जयपुर के सचिव दीपचंद तनवाणी, नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष श्री लक्ष्मीनारायण डाड, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नवलराय बच्चाणी, प्रदेश महामंत्री डॅा. वासुदेव केसवाणी, श्री मोहनलाल वाधवाणी, श्री गोविन्द रामनाणी, चांदमल सोमाणी सहित कई वक्ताओं ने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का शुभारम्भ जगतगुरू श्रीचन्द्र भगवान व महाराजा दाहरसेन के चित्र के समीप दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। स्वागत भाषण सभा के जिलाध्यक्ष श्री कैलाश कृपलाणी व प्रदेश अध्यक्ष श्री लेखराज माधु ने आभार प्रकट किया। संचालन प्रान्त मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया। श्री कैलाश जीनगर व सुरेश हिन्दुस्तानी ने संगठन गीत प्रस्तुत किये।
सभी अतिथियों व पधारे हुए प्रतिनिधियों का हरिशेवा धाम की ओर से रूद्राक्ष माला व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया। गोष्ठी में पूर्व विधायक बंशीलाल पटवा, स्वतंत्रता सैनानी श्री इसर सिंह बेदी, श्री भगवान मनवाणी, श्री रमेश सबनाणी, श्री विनोद झुर्राणी, श्री दीपक गुरनाणी, दैनिक हिन्दु (सिन्धी) के प्रधान सम्पादक श्री हरिश वर्याणी, एम.टी. भाटिया, जय कुमार चंचलाणी, सुरेश कटारिया,किशनलाल ककवाणी सहित प्रदेश के विभिन्न इकाईयों के कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।