जीवन परिचय
श्री मिर्चूमल जी सोनी का जन्म नवम्बर,1933 में मांझन्द, जिला,दादू सिन्ध प्रान्त में हुआ था। इनकी शिक्षा सिन्धी फाइनल तथा शास्त्रीय संगीत में विशारद थे। पेशे से स्वर्णकार होने के साथ ही आपको गीत,संगीत, नाटक,साहित्य एवं लेखन में महारत हासिल थी। आपने कई पुस्तकें भी लिखी थी जिनमें प्रमुख है मुहिन्जो मुल्क मलीर, रुह जा रोशनदान, मोतियन जो महिराण। आपको कई सम्मान भी प्राप्त थे, आप को राजस्थान सिन्धी अकादमी की और से ‘रुह जा रोशनदान‘ पुस्तक लिखने पर अवार्ड दे कर सम्मानित किया गया था।
आप के कई कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हो चुके है। आपने कई स्टेज कार्यक्रमों का मंचन भारत के विभिन्न शहरों में एवं विदेशों में खास कर हांगकांग में स्व0 सेवकराम जी सोनी के साथ गोरधन भारती के सानिध्य में किया है।
आप बडड़िया सिन्धी स्वर्णकार समाज में सलाहकार व सम्मानित सदस्य थे। आप भोलेश्वर मण्डल, वैशाली नगर के वर्तमान अध्यक्ष भी थे। आप वैशाली सिन्धी सेवा समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य एवं शहर की विभिन्न समितियों में सक्रिय योगदान एवं भागीदारी रखते थे।
आप बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिज्ञत स्वयंसेवक थे। आप भारतीय सिन्धु सभा,अजमेर के स्थापना के समय से ही सक्रिय सदस्य रहे। भारतीय सिन्धु सभा द्वारा आयोजित सिन्धी कार्यशाला में आपने सिन्धी गीत संगीत का ज्ञान भावी पीढ़ी को दिया है।
दिनांक 18 दिसम्बर,2011 को आपका स्वर्गवास हुआ।
भारतीय सिन्धु सभा राजस्थान की ओर से हार्दिक श्रृद्वान्जली ।
Ashruporit shrandhanjali.
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