Wednesday, 29 February 2012
समुत्कर्ष का साधन – धर्म
समुत्कर्ष का साधन – धर्म
जिस देश में प्रतिदिन पूजा के समय 192 करोड़ वर्ष की गणना के साथ संकल्प किया जाता हो, उसके लिये 2000 वर्ष कोई बहुत बड़ा काल नहीं है। पर जिनका इतिहास ही उनके ईश्वरदूत के जन्म से प्रारम्भ होता है उनके लिये ये बहुत ही बड़ी अवधि है। दूसरा उनकी कालगणना भी एकरेखीय होने के कारण उसमें परिवर्तन की एक ही दिशा देखी जा सकती है। हम हिन्दू अधिक वैज्ञानिक कालगणना के आदि है अतः हम कालचक्र की बात करते हैं और जानते हैं कि समय तो चक्रीय गति में चलता है अतः इसमें परिवर्तन भी किसी चक्र की भाँति होता है। सत्ययुग के बाद क्रमशः पतन होते हुए कलियुग आता है उसी प्रकार फिर उन्नति की सम्भावना भी बनी रहती है और पुनः सत्ययुग का आगमन निश्चित है। इसी अनादि अनन्त जीवन को जानकर हम अपने कर्म को धर्म के अनुसार करने का प्रयास करते है। सब परिस्थितियों में लागू करने योग्य शाश्वत अपरिवर्तनीय सिद्धान्तों पर आधारित सनातन धर्म को समझकर युग के अनुसार उसे लागू करने युगधर्म की व्याख्या भी समय समय पर होती रहती है। यही कारण है कि चिर पुरातन होते हुए भी यह संस्कृति नित्य नूतन भी है। सतत प्रवाहित नदी के समान ही इसमें मैल इकट्ठा नहीं होता और यह अपनी निर्मलता को पुनः स्थापित कर लेती है। गत कुछ शताब्दियों के संघर्ष काल के कारण यह युगानुकुल नवनिर्माण की प्रक्रिया कुछ शिथिल हो गयी है और हमारा कर्तव्य है कि सनातन धर्म को पुनः युगधर्म के रूप में व्यवस्था में स्थापित कर लें।
युनानी विद्वान मेगेस्थेनिस सम्राट चन्द्रगुप्त के समय भारत में आया था। निश्चित तो कहा नहीं जा सकता किन्तु ईसापूर्व 228 अर्थात लगभग 2200 वर्ष पूर्व का काल इतिहासकार बताते है। उसने अपने अनुभवों को शब्दबद्ध किया ‘इण्डिका’ नामक दैनन्दिनी में। वह भारत के वैभव, समाजरचना, कृषि सभी से अभिभूत था। किसी परिकथा के समान भारत का वर्णन उसके शब्दों में मिलता है। सबसे आश्चर्य उसे यहाँ की शांति को देखकर हुआ। कहीं कोई झगड़ा टंटा नहीं। कानूनी विवाद भी यदा कदा ही होते थे। कोई आपसी विवाद हो भी गया तो सहजता से उसका निपटारा हो जाता था। वैभवशाली स्वर्णयुग की हम बात कर रहे है। सब सम्पन्न थे, प्रसन्न थे। उसे जो पहला वादविवाद मिला वो था दो किसानों के बीच, पाटलीपुत्र, आज के पटना के पास। गाँव के सब लोग जमा थे। एक किसान ने कुछ दिन पूर्व ही अपनी खेती दूसरे को बेची थी। क्रेता ने जब जुताई प्रारम्भ की तो उसे उस जमीन में एक सोने का बरतन मिला जिसमें सोने के गहने भरे थें। वह किसान विक्रेता के पास उस सोने को ले आया और कहने लगा कि ये आपके पूर्वजों की सम्पत्ति है आप ले ले। विक्रेता किसान उसे लेने को तैयार नहीं था। उसका तर्क था कि जब मैने भूमि का सौदा किया तो उसके साथ उसमें जो भी था वह भी क्रेता का हो गया। दोनों अपने अपने तर्कों के अनुसार उस सोने पर दूसरे का ही अधिकार बता रहे थे। विवाद सम्पत्ति को रखने का नहीं, ना रखने का था। दोनों धर्म का वास्ता दें रहे थे। धर्म के अनुसार उस सम्पत्ति पर अपना अधिकार ना होने के कारण उसे अपने घर में रखना विषवत् मान रहे थे। बात तो न्यायालय तक भी गयी। न्यायालय ने क्रेता का अधिकार बताया किन्तु फिर भी वह किसान तैयार नहीं था उस धन को स्वीकार करने के लिये। उसका कथन था कि उसके सौदे के समय यह नियम नही था अतः धर्म को पूर्ववर्ती समय से लागू नहीं किया जा सकता। धन को राजा को सौंप दिया गया इस चेतावनी के साथ कि केवल धर्मकार्य अर्थात जनता के कल्याण के कार्य में ही इसका प्रयोग हो। यदि राजा ने भी अपने नीजी अथवा राजकार्य में इस अनधिकार धन का प्रयोग किया तो राज्य का भी अहित होगा। ऐसी धर्म की व्यवस्था इस देश में थी।
धर्म का ये व्यवस्थागत अर्थ समझना सबसे अधिक आवश्यक है। धर्म केवल व्यक्तिगत जीवन को सुव्यवस्थित करने का ही उपाय नहीं है वास्तविकता में यह ऐसी सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करने का नाम है जिसमे सबका हित हो। सबका साथ साथ विकास हो। विनोबा भावे ने इसे सर्वोदय का नाम दिया था। गांधी पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के विकास को राज्य की व्यवस्था का लक्ष्य मानते थे। इसी को पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय ने नाम दिया ‘अन्त्योदय’। धर्म केवल सबके विकास की बात नहीं करता, सर्वांगीण विकास की बात करता है। सबका सर्वांगीण विकास। धर्म के अनुसार मानव के एकात्मिक विकास के दो अंग है - अभ्युदय तथा निःश्रेयस। यह दोनों मिलकर धर्म को परिभाषित करते है- अभ्युदय निःश्रेयसानि धर्मः।
अभ्युदय का अर्थ है पूर्ण उदय। अभि उपसर्ग लगाने से उदय के बाहरी व सर्वतोमूखी होने का अर्थ निकलता है। अभि उदय, अभ्युदय अर्थात पूर्ण भौतिक विकास। पूर्ण में संवेदना भी आती है। अतः, यह बाहरी विकास भी जैसा कि आधुनिक जीवन में हम देखते है, केवल मानव का एकांगी विकास नहीं है। ना ही यह केवल आर्थिक विकास है। अभ्युदय में विज्ञान और तकनिक के साथ ही पर्यावरण का भी ध्यान रखा जायेगा। अतः अक्षय विकास को लक्ष्य करती तकनिक का ही विकास किया जायेगा। प्रकृति का दोहन होगा शोषण नहीं। दोहन दूध निकालने की प्रक्रिया को कहते है। भारतीय परम्परा में उतना ही दूध निकाला जाता है जितना आवश्यक है। बछड़े के लिये पर्याप्त मात्रा में दूध छोड़ दिया जाता है। क्योंकि संवेदना है। गाय केवल आर्थिक उत्पादन का साधन नहीं तो माँ के स्थान पर है। ऐसी प्रक्रिया से भी विश्व का सर्वाधिक दूध उत्पादन करनेवाला देश भारत सदैव रहा है। गोवंश की संख्या मानव जनसंख्या से कई गुना अधिक रही है। यह सम्पन्नता का मापदण्ड भी है।
आज हम अभ्युदय के सर्वांगीण अर्थ को भूल गये हैं इसी कारण केवल पैसे को ही सर्वस्व मानती इस व्यवस्था में गायों के साथ कृत्रिम गर्भाधान से लेकर अधिक दूध पाने के लिये हारमोन इन्जेक्शन जैसे अत्याचार किये जाते है। यह शोषण है, दोहन नहीं। साथ ही बूचड़खानों में गोवंश के कटने का अनुपात भी कई गुना होता जा रहा है। इस कारण गोवंश का मानव जनसंख्या की तुलना में कम होना पर्यावरण संतुलन के साथ ही अभ्युदय में भी गिरावट लाता है। ब्रिटेन में कुछ वर्ष पूर्व इस लोभ में गाय को मांस खिलाने का अघोरी उपाय किया गया। कहा गया कि इससे गोमांस अधिक वजनदार होता है और अधिक लाभ होगा। इस राक्षसी विचार का परिणाम यह हुआ कि विक्षिप्त गो विकार (Mad Cow Decease) से हजारों लोगों की मृत्यु हुई। वर्तमान में फैल रही पक्षीजन्य ज्वर (Bird Flue) के पीछे भी ऐसी कोई आसुरी वासना काम कर रही है। यह केवल उपासना की बात नहीं है। गाय के साथ मानव के विकास का सीधा वैज्ञानिक सम्बन्ध है। इस बात को समझना धर्म है।
केवल अर्थोत्पादन को ही विकास मानने के कारण पर्यावरण का विनाश हर स्तर पर देखा जा रहा है। रासायनिक खाद, कीटनाशक तथा संकरित व अब तो जैव-विकृत (Genetically Modified) बीजों के कारण कृषि उत्पादन में भले ही वृद्धि दिखाई दे रही हो पर साथ में भूमि की उत्पादकता, खाद्यान्न की शुचिता व किसान के शुद्ध लाभ में दिनोंदिन हो रही गिरावट कुल मिलाकर गणित को नुकसान में ही ले जा रही है। इन सब अप्राकृतिक माध्यमों से आर्थिक लाभ को बढ़ाने के कृत्रिम प्रयासों ने विकास का बड़ा सा बुलबुला बना दिया है। किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं से यह स्पष्ट होता है। बात केवल इन प्राकृतिक संसाधनों तक ही सीमित नहीं है। मानव के लोभ ने प्रकृति, समाज तथा देशों तक का शोषण स्वयं के लाभ के लिये किया है। इस अंधादुंध स्पर्धा के बाद भी सारे तथाकथित विकसित देश आज खोखलापन उजागर होने से दिवालियापन के कगार पर है। इन देशों का ऋण इनकी सम्पदा के कई गुना हो गया है। यह आसुरी वृत्ति का परिणाम है। गीता के 16 वे अध्याय में इसका वर्णन हमें मिलता है। आशपाशशतैर्बद्धाः कामक्रोधपरायणाः। ईहर्थेकामभोगार्थम् अन्यायेनार्थ संचयान्।। गी 16.12।। बिना धर्म के नियन्त्रण के अर्थ व काम पुरुषार्थ के पीछे पागल होनेवाले आसुरी वृत्ति के लोग सैंकड़ों ईच्छारुपी आशा के पाश में बन्धें काम और क्रोध में फँस जाते है। और लौकिक जीवन के भोगों की इच्छा से अन्याय पूर्वक अर्थात शोषण से अर्थ का संचय करते है। ऋण लेकर घी पीने की वकालत करने वाले चार्वाक की तरह ये आसुरी लोभी व्यवस्था धर्महीन अर्थ के दुश्चक्र में फँस जाती है। गतवर्ष जो वैश्विक वित्तीय संकट आया था उसके मूल में यही बिना उत्पादन के केवल मुद्रा के चलन के द्वारा लाभ का भ्रम पैदा करने की माया ही कारण थी। एक ही सम्पदा पर कई बार ऋण दिया गया और फिर जब उसके वापसी ना होने की स्थिति बनीं तो देशों ने झूठीं हुंण्डियों (Bonds) के सहारे विश्व में ही उथल पुथल मचा दी। यह अभ्युदय को ना समझने का परिणाम है, अधर्म है। गीता इस दुश्चक्र का स्पष्ट वर्णन करती है- इदम् अद्य मया लब्धं, इमं प्राप्स्ये मनोरथं। इदम् अस्ति इदम् अपि मे भविष्यति पुनर्धनं।। गी 16.13।। यह अभी मुझे मिल गया पर जो नहीं मिला वो भी पाने की मन में इच्छा है बिना उसके लिये कष्ट किये। फिर ये मेरा है, ये और मेरा होगा ऐसे धन को फिर फिर कैसे बनाया जाय। ऋण पत्र (Credit Cards), वायदा कारोबार (Speculative Commodity Market) तथा पुंजी बाजार (Share Market) यह सब जुए के ही वैधानिक रुप है।
अभ्युदय वास्तविक विकास का नाम है। दिखावे का नहीं। इसमें केवल आंकड़ेबाजी नहीं है। इसमें यर्थाथ में वीरता से पृथ्वि का दोहन कर धन, सम्पदा और इससे भी अधिक गहन ‘श्री’ का उत्पादन किया जाता है। केवल अपने लिये नहीं सब के लिये। सब में केवल मानव मात्र नहीं पूरी सृष्टि के संगोपन की बात है। अतः अभ्युदय के लिये निःश्रेयस का आधार अनिवार्य है। सामान्यतः निःश्रेयस को आध्यात्मिक विकास कह दिया जाता है। इससे बात स्पष्ट नहीं होती वास्तव में धुंधली होती है। यदि आध्यात्मिक विकास की ही बात करनी थी तो सीधे आत्मोदय ही कह देते। अभ्युदय और आत्मोदय। पर यहाँ पद है निःश्रेयस। अतः इस पद के प्रत्यय को, वैज्ञानिक अर्थ को समझना होगा। तभी धर्म को ठीक से समझ पायेंगे। आध्यात्मिक विकास यह अर्थ गलत नहीं है अपूर्ण है। निः श्रेयस्, हम सबको श्री की ओर ले जाने वाला। श्रेय को हमने पिछले प्रकरणों में विस्तार से समझा है। यहाँ व्यक्तिगत श्रेय की बात नहीं यह अंतिम कल्याण की बात है। इसीलिये इसको आध्यात्म से जोड़कर भी देख जाता है। किन्तु धर्म के अंग के रुप में इसको समझने में हमे ठीक से इसकी व्याख्या करनी होगी। श्रेयस् अर्थात श्री की ओर ले जाने वाला। पर इसका परिपूर्ण रुप, अंतिम स्वरुप निःश्रेयस इसको कैसे समझेंगे। यहाँ हमे अपने स्व की संकल्पना को ठीक से समझना होगा। स्व के सतत् विस्तारित होनवाले अखण्डमण्डल स्वरूप का साक्षत्कार ही निःश्रेयस है। यह अनुभूति हमें मानव के एकात्म स्वरुप का दर्शन कराती है। जिसे गीता में अविभक्त कहा है। सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते। अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्विकं।।गी 18.20।। जो कुछ भी अस्तीत्व में है, बना है उसे भूत कहते है। भू- भवति इस संस्कृत धातु का यह रुप है। इस सब में एक, अव्यय अर्थात अखण्ड, बिना किसी भी क्षति के एक भाव को ईक्षते- अर्थात देखना ही सच्चा, सात्विक ज्ञान है। बाहर से विभक्त अर्थात बिखरे, असम्बद्ध दिखाई देनेवाले जगत को अविभक्त अर्थात एक अखण्ड देखना ही ज्ञान है। इस ज्ञान की अनुभूति ही निःश्रेयस है। इस मानव के तथा जगत के एकात्म स्वरुप को देखे बिना अभ्युदय की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती।
by uttarapath
कर्मयोग 13:
Saturday, 25 February 2012
तीर्थराज बूढा पुश्कर घाट
अजमेर - 25 फरवरी - बूढा पुश्कर पर धर्म ध्वजा स्थापना समारोह के उपलक्ष में आयोजित धार्मिक सम्मेलन मे संत समागम, भजन संध्या, महाआरती व आतिषबाजी के बाद भण्डारा का आयोजन किया गया । हर वर्श माघ कृश्णा की षिवरात्रि पर ऐसा भव्य धार्मिक सम्मेलन किया जायेगा तीन दिवसीय आयोजन आगामी 6 से 8 फरवरी 2013 को आयिोजित किया जायेगा । धर्म ध्वजा प्रतिश्ठा पूरे विधि विधान से की गई ।
बूढा पुश्कर पर सभी समाजों की ओर से निरन्तर हर सम्भव सहयोग देकर विकास करवाया जायेगा । नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमति मन्जू कुडिया व हाजी इंसाफ अली ने तीर्थ स्थान पर हर सम्भव विकास कार्यों करने का भी आष्वासन दिया ।
रूद्रपुश्कर बूढा पुश्कर पर सन्तों के सानिध्य में समस्त समाजों के घाटों का धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम में अखिल भारतीय सिन्धी साधु समाज के संरक्षक एवं हरी षेवा धाम के श्री महन्त स्वामी हंसराम जी, श्री मसाणिया भैरवधाम, राजगढ के उपासक श्री चम्पालाल जी महाराज, श्री सेवानन्द गिरी जी, महन्त कपालेष्वर महादेव मन्दिर, स्वामी स्वरूपदास, महन्त, ईष्वर मनोहर उदासीन आश्रम के अलावा वृदांवन के श्रीमद् भागवत कथाकार डॉ.संजयकृश्ण षलील सोमनाथ माहादेव श्रीनाथजी की बगीची के योगीराज षुभनाथ जी के अलावा स्वामी ष्यामदास,स्वामी आत्मदास जी, दादा नारायणदास, फतनदास जी, दादी मोहिनी देवी, कई महात्माओं का आषीर्वाद प्रदान किया । सभी समाजों के घाटों पर स्थित मन्दिरों पर साज सज्जा की गई एवं मन्दिरों की पूजन के साथ महाआरती का आयोजन भव्य रूप से आकर्शमय था महाआरती के पष्चात् आतिषबाजी भी की गई। समारोह की षुरूआत पूर्व सांसद श्री ओंकार सिंह लखावत ने स्वागत भाशण व आयोजन के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुये सहयोग की आवष्यकता पर बल दिया । पार्शद सम्पत सांखला ने आभार प्रकट किया व संचालन महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया ।
समारोह में विधायक प्रो. वासुदेव देवनाणी, श्रीमति अनिता भदेल, पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना, पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी, पूर्व सभापति श्रीमति सरोज जाटव, कंवल प्रकाष किषनाणी, तुलसी सोनी, षक्तिप्रताप सिंह, सर्वेषर अग्रवाल, भैरू गुर्जर, खेमचन्द नारवाणी, दीपेन्द्र,सुरेष तम्बोली, हेमन्त कुमार सेन, मोहन तुलस्यिाणी, राजेन्द्र लालवाणी, कर्णसिंह सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे । श्री प्रकाष मोटवाणी व सोनू उदासी ने भजन प्रस्तुत किये ।
समारोह में हरिषेवा घाट, स्वामी हरि हृदय घाट, भगत कंवर राम घाट, जाट समाज घाट, आर. के. घाट, सेन समाज घाट, रावत समाज घाट, गुर्जर समाज घाट, कोली समाज घाट, श्री सीमेंट लि. घाट के समस्त सेवाधारी उपस्थित थे ।
सेवाधारी, बूढा पुश्कर (मो.9414003177)
Monday, 13 February 2012
सिंधी भाषा ऐं संस्कृतीअ जे वाधारे में सिंधी पंचायूतिन ऐं नौजवाननि जी भूमिका Rakesh Lakhani
इहो घणो- तणो पयो बु॒धबो आहे तह जेकरि कहिं भी कोम खे खतम करणो हुजे तह इन कोम जी बो॒लीअ खे दबायो वञे या खजा॒जो वञे। ऐंडहा तजूर्बा मजीअ में घणा घुमरा थिया आहिनि। अमेरिका में खासि करे दे॒ही माण्हूनि यानी रेड इंनडयनि बाबति हिक चवणी मशहूर आहे तह – kill the Indian and save the man. मतलब जेकरि रेड इंडियनि जे इंडयनि पणे खे खत्म करणो आहे तह बो॒लीअ खे खतम कयो वञे, संदुनि इंडियनि पणो पहिजे पाण ई खतम थी वेंदो। जेकरि अमेरिका में बो॒ल्यूनिं जा आकडा दि॒सयूं तह ईहा हकिकति केतरि सही आहे सा समझ में ईंदी। अंग्रेजनि जे अचण खां अगु॒ 350 -400 बो॒लयूं हयूं जेके हिअर अची 139 ताईं बिठयूं आहिनि। योनेसको मोजबु इन मां अधु यानी सतर फना थिअण जी कगार ते आहिनि। साग॒यो ई हालु असट्रेलिया जो आहे, जिते 700 बो॒लयूं ताईं हयूं, हिअर तनि मां तमाम थोडयूं ई वञी बचयूं आहिन।
बो॒लयूं रुगो॒ वसयलि या तरकी कंदड मुलकनि में नथयूं मरनि। बो॒लयूं टिहि दुनिया या थर्ड वर्लड में जाम पयूं मरिनि। हिदुस्तानि बाबति इहो थो चयो वञे तह हित 198 बो॒लयूं फना थिअण जी कगार में आहिनि। पाकिस्तानि लाई इहा ग॒णपअ थोडी घ़ट आहे फकत 15 । मतलब जे जेतिरो वदो॒ मुल्क ओतरियूं वधिक बो॒लयूंनिं जे फञा थिदडनि जी तादादि। ऐडहो हालि लग॒ भग॒ हर हिक मुल्क सां पयो थे। इहो अंदेशो थो लगा॒ईंजे तह 2050 ताई दूनिया जे 6000-7000 बो॒लयूनि मां 90 सेकडो फना थी वेंदयूं। इहो सब रूगो॒ इन लाई जे दुनया जी 97 सेकडो आबादी 4 सेकिडो बो॒लयूनि ई पया इसतमाल कनि। जेतोणेकि पिछाडीअ जे किन सालनि में इन मसले ते चङनि जो धयानु वयो आहे ऐं चङो कमू पिणि थियो आहे पर ईन जे बावजूदि बो॒लयूंनि जे फना थिअण जो सिलसलो सांधईं पयो लहिंदो य़ो अचे।
ऐडही गा॒ल्हि नाहे तह बो॒लयूं रूगो॒ कलोम्बस जे नई दुनया या नयू वरर्ड मे मूयू आहिनि- इंगलेंड जे महाराजा हेनरी सतो जो कि वेलस जो ई रहाकू हो वेलसि बो॒ली जेका इगलेड जे उतर ऐ उतर ओलहि मे पई गा॒ल्हाईजे – इन बो॒लीअ ते प्रतिबंद लगा॒यो। 400 सालनि खां पोई वरि इहो प्रतिबध हठायो वयो पर तेसिताई चङी बर्बादी थी चूकी हई। जेतोणेकि इन बो॒लीअ खे वेसल मे अंग्रेजीअ जेडहा हक मिलयलि आहिनि, यूरोपियनि यूनियनि भी इन बो॒लीअ जे जोगी जाई दि॒नी आहे पर इन जे बावजू अजु॒ वेलस मे मस जेडहा 20 सेकडो ई माण्हू आहिनि जनि खे इहा बो॒ली सुठे रित पई गा॒ल्हिअनि अचे। फांस में भी ईअं ई थियो हूकूमति कानून जी मदद सां सघ रखिदड बो॒लयूनि पहिंजी सघ देखारे थोईई वारीयूं बो॒लयूंनि खे नासु कयो।
हिंदुस्तानि में जेतोणोक असीं पहिजी अनेकता ते फकरु कंदे नह थकबा अहियूं पर थोडाईअ वारिनि बो॒लियूंनि तोडे कोमनि दा॒हिं वहिंवारि फकरु करण जोडहो भी नाहे। जेतोणेकि यून्सको मोजीबु हिंदुस्तानि में फञा थिंदड बो॒लयूनि में सिंधी नाहे पर इन सां सिंधी ते खतरो कहि कदरु घटि आहे सो भी नाहे। बो॒लीयूनि बाबत वेबसाईट-ऐतिंनोलाग सिंधी खासि करे हिंदुस्तानि में सिंधीअ बाबत कजहि रिन नित थी बयानु करे- Many Sindhis do not learn their traditional ethnic language. Mainly women and older adult speakers. Also use Hindi or other state language.
हे बयानु शाहित आहे तह सिंधी बो॒ली सिमटजे पई। दुनिया भर में हिअर बो॒लीयूनि खे वजूद खे सोघो करण जी कवायति पई हले। भले उहो अमेरिका में हुजे, अफरिका में हूजे या लेठिनि अमेरका में- फना थिंधड बो॒लयूं चङनि जो धयान पई छिकायो आहे।
पर इन सभनि खां वदो॒ सवालु इहो आहे तह बो॒लयूनि जे फना थिअण में ऐदो॒ हुलु छो। छो असी इन बो॒लयूनि ते ऐतरि हाई घोडा पई कयोऊ, छोन नह असी बो॒लयूनि खे पहिंजे राहि ते छदोऊं- जिअं असी संसकृति या सकाफत सां कंदा आहियूं। बो॒लयूं तह रूगो॒ गा॒ल्हिईअण जो हिकु जरिओ ई आहिनि। पर इअं नह पयो थे। बो॒लयूनि खे बचाअण जी भरपूर कोशशयूं पयू थेनि। दूनिया जे कहि भी ऐलाके खे दि॒सो अफरिका, ऐशया, अमेरिका, यूरोप या आसट्रेलिया हर हंद अव्हां खे बो॒लयूंनि लाई जाखडो कंदड तंजमयूं लभिंदयूं । बो॒लयूंनि खे ब़चाअण जो हिकु वदो॒ मकस्द इन लाई असां जो धयानु पई छिकाअंदो आहे छाकाणि तह बो॒यूंनि जी सिधी वाटि इंसानी सोच, ईंसानी संसकृकि ऐं ईंसानी सुञाणप सा गंद॒यलि हूंदी आहे। मिसाल जी गा॒ल्हि सिंधी में 20 लफज उठ जी जुदा आहिनि, सागे॒ रित केनेडा जी दे॒ही बो॒लयूंनि खे दि॒सींदासिं तह सागी॒ रित बर्फजे जुदा जुदा किसमनि लाई ऐतिरा नाला लभिंदां ऐं जेकि इन बो॒लयूंनि जा गा॒ल्हिईंदड माण्हूं गा॒ल्हाईंदा आहिनि, पर साग॒या लफज हिंदिं तोडे अंग्रेजीअ नह हूजण सबब जद॒हि असिं इन बो॒लयूंनि दा॒हिं झूकोउ था तह इन खोट जो असर अंसाजी संसकृति ते पिणि पवे तो । साणु साणु वरि जद॒हि असीं जी रितु रसमन जी गा॒लहि कयोउ तह सागो॒ इ मंजर पई नजर ईंदो। हिक गा॒ल्हि असां खे विसीण नह खपे तह धारि बो॒ली सां धारीं संसकृति जो भी असरु थो वधे। इहो दि॒ठो वयो आहे तह जनि सिंधी घर में भी अंग्रेजी गा॒ल्हाअण जो रिवाज विधो आहे से होरियां – होरयो अंग्रेजी संसकृति दा॒हि भी झुका आहिनि जेको सुभाविक आहे। साग॒यो हालु हिंदीअ सां भी थो थे।
जेकरि दिन धर्म जी गा॒ल्हि कजे उते भी साग॒यो मंजरि पई नजरि ईंदो हिंदु धर्म संसकृत सां, बौध धर्म पाली- प्राकृत सा, सिंख धर्म पंजाबी सां, यहूदि हर्बयू सां तह इसलाम अर्बी फार्सीअ सां हमेशाहि ईं गं॒दे॒ दि॒ठी वेंदो आहे। चयो वेंदो आहे तह अमेरिका में चर्चनि में अंग्रेतीअ नह गा॒ल्हिआण लाई लाई यातनाउ ताईं दि॒ञी वेंदयूं हयूं। असांजी इंसानी सोच ई कजहि ईअं थिंधी आहे। बो॒लीअ जो असरु इंनसानि ते कूदरति थिंदो आहे जहिखे नजरअंदान नथो करे सघजे।
हिंदुस्तानि में तोडे हिदुतनानि खां बा॒हरि रहिदडनि सिंधयूनि में ऐं खासि करे हिदुनि में हिक सोच वेठिल आहे तह बो॒ली खे नह पर संसकृति खे सोघो कजे। असां जे लेखे जेकरि असी पहिजी सुञाणप कायमि रखण जे नसबत सिधी दि॒ण वार खे वधिक मानु द॒उं तह इन में का भी घटि गा॒ल्हि नह लेखणी खपे – छा काणि तह असां जो मकसद पई पूरो तो थे। असा इहा गा॒ल्हि विसारे वेहिदो आहियू जद॒हि असीं बो॒ली था मठोऊं तह इन म़टयलि बो॒लीअ सा ग॒दु॒ इन बो॒लीअ इन जी संसकृति जो भी घाठो असरु पवे थो। इन जो वदे॒ में वदो॒ सबूत हिंदु- सिंधी तोडे पंजाबी आहिनि –जिते धारि बो॒लीअ खे दिलो जान सां अपञाअण सबब संदुनि पहिंजी असलोकी सफाकति खां भी परे थिया आहिनि। इन जो हिकु सबब आहे सिख जेके पंजाबी बो॒ली सबब वधिक पंजाबी लगिंदा आहिनि ऐं सिंध जा सिंधी वधिक सिंधी। इहो सब भले असांजी सोच सबब ई छो नह पर हकिकति आहे। इहे सब असर कुदरति आहिनि।
पिछाडीअ जे सतरि सालनि में असीं जहि हिक गुथी थे सुलझाअण में ई पूरा पया आहियूं से आहे किअं हिदुस्तिन में जिंदो रखोउं सिंधी बो॒ली खे। असां जी पूरि कोशिशनि जे बावजूद असीं अगते वधण खां पोईते ई था थींदा वनऊं। पिछाडीअ जे 30 सालनि में सिंधी पढिंदडनि जी तादाति समाम तकडी घटे थी पईं। इऐ तह के जवाब असां वटि हमेशाहि ई तयार हूंदा आहिनि- मसलनि सुबो तोडे खसुसि ईलाईका नाहिनि, सिंधी पढही कमाई जा के भी साधनि नाहिनि, सिंधी लिपी (अर्बी लिपी) ओखी आहे, सिंधी हिक मुअल बो॒ली आहे वगिराहि, वगिराहि, पर हे मसलो भी ऐडहो सिधो नाहे।
हिंदुस्तनि तोडे दुनिया भर में जिते भी बो॒लीअ फञा थियूं आहिनि उते घणो तणो बो॒लयूं जे गा॒ल्हिईंदडनि खे पहिजा खसुसि इलाईका आहिनि। पर इन जे बावजूद इन बो॒लयूं फना थेनि पयूं वरि सिंधी तहि महलि संविधानि में पहिंजी जाई वालारी जद॒हि मैथली, कोंकणी, बोरो जे बाबति माणहूं सोचिंदा भी कोन हवा। इनहिनि बो॒लयूंनि खे पहिजा ईलाईका ई नह पर गा॒ल्हिईनदडनि जी तादादि भी वधीक आहे। वरि हिंदुस्तानि में ऐडहा भी ऐलाईंका आहिनि जति पहिंजो सुबो हूंदे भी बो॒लयू अग॒ते कोन वधयूं आहिनि मसलनि कशमिरि में कशमिरि बो॒ली, जिते उर्दू दफतरि बो॒ली आहे। वरि असां विरहाङे जो रुअण आहे जे निबरीई नथो निबरे जद॒हि तह सिंध खां वधिक हक सिंधी बो॒ली खे हिंदुस्तनि में आहिन।
हिकु वकत हूंदो हो जद॒हि सिंध में पी टी वी में सिंधी जो अधु कलाक या कलाक खनु जा प्ररोगराम ई नसर थिंदा हवा। जिअ हिअर हिंदुस्तनि में सिंधीअ जो हालु आहे सरकारि चेनेलनि में।पर अजु॒ जी तारिख में हिअर पंज पंज निजी सिंधी टी पी चेनेल आहिनि जिते सिंधी, पहिंजी बो॒लीअ जे दम ते पहिंजी रोजी॒ था कमायनि जेकरि सिंध में रहिंदडनि में हूब नह हूजे हा तह इहो सब कद॒हि मूमकिनि नह थिऐ हा। अजु॒ हिंदुस्तानि में सिंधी कोमी बो॒ली हूअण सबब के सरकारि हक थी लहणे पर बद किसमतीअ सां असां जो धयानु ऐडहे पासे नह हूंदो आहे या असां सिंधी बो॒लीअ खे मिलयलि हकनि सां वाकिफ नाहियूं। अजु॒ जरूरत आहे तह तह पहिजे हकनि खे सुञाणोऊ ऐं पहिजो वजूद कायम धायम रखोऊं, छाकाणि तह असीं सिंधी बो॒लीअ सबब ई सिंधी आहियूं ऐं बो॒ली रहिंदी तह सिंधीयूनि जो वजूद रहिंदो- संसकृति जी गा॒ल्हि तह ईन खां पोई थी अचे।
हिक लङे दि॒सजे का भी बो॒ली पअहिजे जा॒ऐ उसरयलि नह हूंदी आहे पर माण्हूं जे वाहिपे सां पुखती थिंदी आहे। जेकरि वाहिपो रहिंदो तह तहजीब भी बो॒लीअ जे जरिऐ अग॒ते पुखती थिंदी वेंदी। अग्रेजी सा भी इअं ई थयो। कलोमबसि जे नई दुनिया जे इजादि खां पोई अंग्रेजनी इन जो पोरो फाईदो वरतो वरि ईंडसट्रियलि रेवीलयूंशनि (Industrial Revolution) के करे हुनर सां ग॒दु॒ बोलीअ जे भी प्रचार थियो।संदुनि वाहिपो भी वधींदो वयो। हिक चवणि असां नंढे हूदे खां बह अंग्रेज कद॒हि भी का धारि बो॒लीअ में कोन गा॒ल्हाअनि भले हो पाण कहिं धारि बो॒लीअ जा केतिरा नह धारि बोलीअ में माहिरि हूजिनि। साग॒यो ई हालि जरमनि. फेंच या ईसपेनिश जो आहे। अजु॒ यूरोपियनि यूनियनि में 25 खां वधिक मुलक आहिनि ऐ इन खां तमाम घणयूं बो॒लयूं तसलिमि थिअलु आहिनि, पर अंग्रेजीअ खे यूरोपियनि मूलकनि में हिकली दफतरी बो॒ली करे को भी कबूल करण लाई तयारि नाहे। भले सभिनि खे हिक बोली नह हूजण सबब तकलिफ थे थी। यूरोप जूं ब॒यूं बो॒लयूं जद॒हि तह पहिजे पाण खे भी अग॒ते वधायो असां हिंदुस्तनि जूं बो॒लयूं कोन करे सघासिं।
हिंदुस्तनि में हमेशाहि हिकु बो॒ली थोपण जो रिवाज रहयो आहे। संसकृति प्राकिर्त ते थोपी वई। हिंदी ते हमेशाई ईं इहो लहो ईलजामि मडयो वेंदो आहे तह इहा बो॒ली थोपी पईं वञे। असां खे हिंदुस्तनि में जेके मसला आहिनि साग॒या मसला यूरोप में भी आहिनि। यूरोपिय यूनियनि में 25 बो॒लयूं आहिनि पर सभनि खे मानु पयो मिले। हो अंग्रेजी या लेठिनि खे मथे नथा चाडिनि पर टनांसलेशनि टेकनालाजी जे भरोसो था कनि। बदकिसमतीअ सां हिंदुस्तानि में ईअं नह कयो वेंदो आहे। जहि सबब कहि भी थोडाई वारी बो॒लीअ लाई जखडे में तमाम घणी तकलिफ पई पेश अचे।
हिंदुस्तानि में सिंधी बो॒लीअ जे वाधारे जे नसबत ब॒ह अहम मसला आहिनि-
मादरि बो॒लीअ जो ग॒लति ईसतमालि- असां हिंद जे सिंधीयूंनि में बारनि सां जा॒ऐ ई हिंदी या अंग्रेजी था गा॒ल्हिआयूं। असां में ईहो हिकु रिवाजु थी वयो आहे। सो सिंधी बा॒रनि जी पहिरि बो॒ली यानी फर्सट लेगवेज अण सिंधी ती थे। सिंधी गा॒ल्हाईण जो रिवाज पोई थो विधो वञे। इन जो मसलब इहो तो थे सिंधी बा॒रनि लाई सिंध बि॒हि या टि बो॒ली ती थे। इहो दि॒ठो वयो आहे तह को भी बा॒रु ते पहिरि सिखयलि बो॒ली जो असरु तमाम घणो थो थे, पोई सिखयलि बो॒लयूंनि जी भेटि में। कच्छ में कच्छी सां इहो दि॒ठो वयो आहे। हो अग॒वाठि बा॒रनि खे कच्छी था सेखारिनि ऐं पोई गूजराती। अग॒ते हलि संदुनि बा॒र गुजराती स्कूलनि में था पढिनि, पर कच्छी नथा विसारिनि। पर असां इन जे उभतरि था कयूं। अग॒ धारि बो॒ली था सेखारोऊं पोई पहिंजी। इहो ई सबब आहे जे असां खे ऐतरि तकलिफ पई थे बा॒रनि में सिंधी जो रिवाज विझण में। जेसिताईं असीं बो॒लीअ दा॒हीं पहिंजो वहिंवारि कोन मटिंदासिं असां सिंधी खे कद॒हि भी पुख्ती कोन करे सघींदासिं। इहो जरूरि नाहे तह हर बा॒र सिंधी मिडियम में पढिंदो तह ई सिंधी सिखी सघींदो। पर जेकरि पहिरि बो॒ली जे रुप में पढिंदो तह यकिनि सजी॒ उमर ई यादि रखींदो, पोई भले इहो बा॒रि दुनिया जे कहि भी कूंड- कूडच में छोन नह रहे। जद॒हि के बो॒लीअ तोडे तालिम जा माहिरि चवनि तह बा॒र खे पढाई पहिजे बो॒लीअ में दि॒ञी वञे तह हो समझी वठिंदा आहिनि तह बा॒र खे पहिजी मादरी बो॒ली खेनि जा॒ऐ खां सेखारि वञे थी।
बो॒लीअ जे नसबति असीं बि॒ईं गलति वहिंवारु लिपीअ सा कयो वयो आहे। इन जो हिक वदो॒ सबब इहो आहे तह लिपीअ जे नसबत सिंधीयूनि जो धयानि कद॒हि भी बो॒लीअ जे वदूज ते कोन रहयो आहे। दर असलि सिंधी बो॒लीअ तोडे लिपीअ जे नसबत असीं अंग्रेतनि महलि तह वेवसि हूवासि छो तह घणोई तह मसलमानि जी हई – जेके अगे॒ पोई पहिंजी गा॒ल्हि मञाऐ वटिनि हा वरि जेकरि हिंदु देवनागरीअ ते जिद जे भिहिन हा तह सिंध जो भी हालु कशमिर जेडहो हूजे हा- हिदु हिंदीअ दा॒ही झूकिनि हा ऐं मुसलमानि उर्दू दा॒हि। पर विरहांङे बैद उन खां भी वधीक गलति कई आहे-जे हिक गलति खे अग॒ते ई नह पर उन गलती ते फकरु कय़ो आहे। हिक लंङे दि॒सजे तह लिपीअ जा मसला तह अचणा ई हवा। हिंदुनि कद॒हि भी आर्बी लिपी कबूल कोन कई हूई पर अंग्रेजि कबूल कराई हूई। हिंद में अची जेकरि सिंधी लिपीअ जे चूंड जेकरि बो॒लीअ जे वजूद तोडे निज॒ सिंधी लफजनि जी बूनयादि ते कनि हा तह नह अर्बी- फार्सी ऐं ना ई रोमन- लेटिनि सिंधी बो॒लीअ जी लिपीअ थिअण को हक माणे हा। लिपीयूं तह गुजरातियूं ऐं मराठीनि पिणि मठयूं आहिनि पर खेनि का भी तकलिफ कोन थी छा काणि तह संदुनि पहिजे निज॒ अखरनि सा को भी समझौतो कोन कयो । पर बदकिसमतीअ सां सिंधी में विरहांङे बैद भी धारी लिपीअ जो सिलसिलो आहे जे बंद थिअण जो नोउं नथो खणे। लिपीअ जे नसबत आर्बी लिपीअ जे हिमायतियूं जो चवण हूंदो हो तह इन सां सिंध जे सिंधीयूनि सां गंदे॒ रखिंदो पर इन गं॒द॒ण जे हिर्स असां खे पहिंजनि में ई बेगाणो करे छदो। दरअसलि हिंदुस्तनि में जेके भी लिपयूं घणो तणो इसतमालि पयूं थेनि से सब फेनोटिक आहिनि जहिसां सा खिखण तमाम सहूलो थिंदो आहे, छाकाणि तह जहि रित बो॒ली गा॒ल्हिईंजे थी सागे॒ रित ई लिखजिनि थयूं। इन गा॒ल्हयूंनि खे नजरअंदाजि नथो करे सघजे।विरहांङे बैद भी असी इन रगडे खे निवेरे कोन सघीसीं छा काणि तह देवनागरीअ जो जेको प्रचारि कयो वयो सो गलति हो। असां देवनागरीअ खे देवताउनि जी लिपी कोठे, सिंधीअ खे वदे॒ में वदो॒ नुकसानि पुजा॒यो । असां ईहो गा॒ल्हि विसारे वेठासिं तह बो॒ली तोडे लिपी तोडे बो॒ली कद॒हि भी कहि खसुसि दीन धर्म मञण वारनि जी नह थिंदी आहे, ऐ जद॒हि भी इहा कोशश कईं वेंदी आहे तह हाल उहो ईं थिंदो आहे जेको उर्दू जो विरहांङे बैद थियो। हिकु वकत हूंदो हो जद॒हि इन बो॒लीअ ते हिंदु भी फकरु कंदा हवा।
हिअर रोमनि ते भी अजु॒ चङो हूल पयो थे। जेका लिपी हिअर जोडाई वई आहे – तहि मां तह इहो लगे थो तह ज॒णु असी अर्बी लिपीअ जी गलतियूं मां असा कुझ भी कोन सिखया आहियूं। चंड बिंदु, अंशुविरिया, अधु अकरि विटे लफजनि लाई कोन भी अखरि मूकर्र कोन कयो वयो आहे। हिदुस्तनि जी बो॒लयूंनि जे ग्रामरनि में ई मात्राउ अहम जाई थयूं वालारिनि। पर नह जा॒ण छो इहे समझोता कया वयो। वरि सिंसकृति बो॒लीअ जे नतबत रोमनाईजेन में हिक सदीअ खां भी वधीक जे अर्से खां कमु पयो हले। इन जो फाईदो जद॒हिं हिंदी-नेपाली-मराठी बो॒लयूं वठी य़तूं सघीनि तह पोई सिंधी छोन नह …….इन लिपीअ खे दि॒सी लगे॒ तह इऐं थो ज॒णु लिपी जोडाअण जी तमाम घणी तकड हूई।
सिंधी पंचातयूं जे नसबति जेकरि गा॒ल्हि कजे ईहे हमेशाहि ई ईहे सामाजिक संसथाऊ ई थी रहयूं आहिनि। सिंध में मुसलमा जे राजय में ईन पहिचातयूंनि जो अहमि किरदारि हो। इहे संसथाऊ सिंधी हिंदुनि जे समाज सां ऐतरयूं तह गं॒द॒यलि हयूं जे मुसलमानि मां जेके इन जे कम कर्ज बाबत जा॒णण भी हिक कामयाबी मञी वेंदी आहे। चङा सामाकिज मसला असी इन सांसथा मां ई निबेरिंदा हवासिं। दे॒ति लेति बाबति बी घणी दे॒ वठि कजे सा भी पक पंचातयूं ई कंदू हयूनि। विरहांङे बैद भी असी साग॒यूं संसथाउ बी॒हरि जोडाईसिं जिअं असांजा मसला असी पाण ई निबेरे सघोऊं। हिंदुस्तानि में ऐडहो वरली ई को शहरु या कसबो लभींदो जिते सिंधी पंचातयूं नह हूंदयूं। ऐडहा चङा शहरि हिदुसतानि में लभींदा जिते इन संसथाउ सुठो कमु कया आहे ऐं सिंदुनि इजति में तमाम घणी आहे, पर ईन जे बावजूद धारे मूलक जो तह असरु पवण लाजमी आहे। कनि वदे॒ शहरिनि में इन पहिचातयूंनि खे घटि पयो लेखयो वञे। इन खे इहो मानु नह पयो दि॒ञो वञे जेको इहे संसथाऊं लहणिनि।
सिंधी पहिंचातयूंनि जो को किरदारि कद॒हि भी बो॒लीअ जे नसबत कोन हो। सिंध में रहिंदे इन जी का भी जरूरत कोन पई हूई। बो॒लीअ जा मसला सिंधी लाई विरहांङे बैद जा आहिनि। हिंदुस्तनि में सिंधी पंचायतूं ऐं सिंधी अकादमियूं में वदे॒ में वदे॒ फर्कु इहो आहे तह सिंधी पंचातयूं में ठेहिअ जो बदलाव थियो आहे जेको अकादमियूनि में को घणो नजर कोन आयो आहे। इहो ई सबब आहे जे सिंधी बो॒ली भी कहि कदुरु बदलाउ कोन आयो आहे खासि करि नई टेहि जे नसबत। अजु॒ इन जी सखत जरूरत आहे तह सिंधी अकादमयूं खे पहिंज पाण में सिकूडण खां किअं रोकिंजे। हूकूमत जेके भी पैसा सिंधी बो॒लीअ जे वाधारे जे नसबत खर्चे थी से साखर्ता कोन था नजर अचिनि। इहो हिकु सबब आहे जे असां वटि संसथाउं जो हिक धाचो हूअण जे बावजूद असां लेखकनि तोडे अवाम में या सिंधी बो॒लीअ तोडे नौजवानि में रोबतो कोन जोडयो वयो आहे जहि सबब हूकूमति जू या सिंधी बो॒लीअ जे चाहिंदडनि जू उमेदयूं पाणी फेरयो आहे। अजु॒ इअं थो लगे॒ ज॒णु सिंधी बो॒ली ते खचर्ल पैसा अजा॒या आहीनि- सिंधीयूंनि में सिंधीअ जो वाहिपो घटण भी हिन वार थिअण जो हिकु अहम सबब आहे।
सिंधी बो॒लीअ जे जाखडे जे नसबत सिंधी अकादमियूमनि जो करिदार तमाम अहमि आहे पर बदकिसमीअ सां संदुनि में ऐडहो को भी बदलाउ सिंधी बो॒लीअ लाई कोन आंदो आहे जहिजी उमेद कजे पई । सिंधी लेखकनि जो अगे॒ भी इहो रायो रहयो आहे तह अकादमियूमनि पारां मालि मदद दिं॒दड किताबनि जो मयार घठि ई रहियो आहे। आजादीअ खे अची अजु॒ सतरि साल थिआ आहिनि इन जे विच में चङो वदलाउ आहे आहे जुदा जुदा बो॒लयूंनि जे साहित्य तोडे साहित्क तंजमियूं में पर इन जे वावजूद असी ऐतिरो को घणी विख वधाऐ सघा अहियूं। अकादमियूनि जे कमनि जी जा॒णि आम सिंधी पहिंजे सोबनि में भी घठि आहे। के अकादमियूं जेकरि सुठो कम भी कयो आहे तह आम रिवाजी इंसानि में संदूनि कम जी का घणी जा॒णि नाहे। अकादमियूनि खे खपिंदो हो तह सालि में हिकु लङे गद॒जीनि जिअं जुदा जुदा अकादमियूनि जे कमनि ते गा॒लि बो॒ल्हि करे सघजे। किन अकादमियूनि जी पहिजी वेबसाईट भी आहे पर इन साईट जो फूरो फाईदो कोन पयो परतो वञे।
जेकरि असीं में दि॒सिंदासिं उते सिंधी दइतरी बो॒ली नाहे। सिंधीयूनि खे उते नेकरियूंनि लाई उर्दू ई थी पढणी पवे, सिंध जे बि॒न वद॒नि शहरनि मसलनि कराची ऐं हेदरआबादि में मुहाजरनि जो तमाम घणो जोर आहे पर इन जे बावजूद सिंधी अग॒ते वधे थी। जेको कानून 1970 में भूठे जे दि॒हनि में पास थियो हो सो अजु॒ ताई अमल में कोन आयो आहे। जदि॒हि इहो कोनून पासि थिय़ो तह कराचीअ तोडे हेदरआबाद में सिंधीयूंनि महाजरनि जा फसादि थिया, जहि सबब इहो कोनून अमल में कोन आणे सघयो। वरि हिन साल 4-5 अहम बो॒यूमनि लाई जेको कोम बो॒ली बिल पेश करण जी कोशिश कई वई – उन खे पेश करण खां अगु॒ ई रोकयो वयो। पर इन जे बावजूद सिंधी बो॒ली सिंध में मूई नाहे। सिंध में सिंधी अकादमयूं हिंदुस्तानि जे अकादमियूं खा घणो वधीक ऐं कहि कदूरि सठो कम करे दे॒खारो आहे। सिंध जूं ब॒ह वद॒यूं सनजमयूं सिंधी अदबी बोर्ड तोडे सिंधी लेंगवेज अथार्टी सिंधी बो॒लीअ जे नसबति जो कस कहि कदुरु खेण लहणे। सिंध अदबी बोर्ड चङनि किताबनि खे डिजीटलाई करे पहिंजी लेबसाईट में शाई कयो आहे। हो असं खां घटि बजेट जे बावजूद सुठो कमु कयो आहे।
हिंदुस्तानि में सिंधी बो॒लीअ जो दारूमदार हिअर नोजवानि ते आहे। सिंधी बो॒लीअ जे नसबत जेके भी कोशशियूं थियूं आहिनि से का भी कामयाबी कोन माणे सघयूं आहिनि। संदुनि राबतो भी सिंधी संसथाउं सा नह जे बराबर ई रहयो आहे। गा॒ल्हि रूगो॒ सिंधी बो॒ली सां वाकिफ करण जी नाहे पर सिंधी घरनि में हिंदी तोडे अंग्रेजी जो वाहिपो कद॒हण जो बी आहे। ईहो तद॒हि मूमकिनि थिंदो जद॒हि असीं लिपीअ ते तोडी लचीलो पण या फलेकसीबिलिटी खणी ईंदासिं। हिंदुसतानि में बो॒ली तसलिम बि॒हिं लिपूयूनि में थी आहे। मतलब बि॒हिं लिपीयूनि खे हिक जेडहा हक आहिनि पर वाहिपो सिंधी अर्बी जो घणो रखयो वयो आहे। अकादमीयूं पांरा भी शाई थिंदड कितानि में भी अर्बी जो वाहिपो तमाम घणो थो थे, जेको नोजवानि जे समझ खां बाहिर थो ते। हिक गा॒ल्हि असां खे जहनि में रखणी खपे तह लेखकनि जे दम ते सिंधी बोली जिंदी कोन रहिंदी - जेकरि ईअं मूमकिन थी सघे हा तह अजु॒ संसकृत भी हिक अमाव जी बो॒ली थिऐ हा। बो॒लयूं तद॒हि जिंदयूं सहि सघींदयूं जद॒हि इन बो॒लीअ खे अवाम जो साथ मिंलिंदो आहे।
सिंधी बो॒लीअ जे आईंधे लाई आउं के सुझाव दे॒अण चाहिंदुसि जेकि हिअर बो॒लीअ जे नसबत तमाम अहम आहिनि-
सिंधी अकादमियूंनि में तोडे पहिंचातयूंनि जेको भी लिखपढ जो कमु पयो थे सो हिंदी – अंग्रेजीअ जमें राबतो बो॒लीअ जे वाधेरे नी जाई ते देवनागरी सिंधी में थे।
हर सुबे जी अकादमियूं में खासि करे बो॒लीअ जे वाधारे जे नतबति कमिठियूंनि में सिंधी पंचातयूं जे नौजवानि अहदेदारनि खे जाई दि॒ञी वञे जिअं अकादमियून खे सिंधी समाज में नोजवानि बाबति पूरो फिडबैक मिलि सघे।
अकादमियूं पारा सिंधी शाईं थिंदड किबाबनि जो वदो॒ हस्सो देवनागरी सिंधी जो हूजण खपे
सिंधी किताबनि जी डिजीटलाजेशनि थिअणी खपे जिअं कूंड कूकचनि में सिंधी पहिंजे बो॒लीअ तोडे साहित्य सां वाकिफ हूजिनि
सिंधी संसथाउ हिक साफटवेअर तयार करण जी घूर करे जहि जे मार्फत अर्बी तोडे देवनागरीअ में मट सट करे सघजे। ऐंडहा सागया कदमि कशमिरि में खया वया आहिन – सो सिंधीयूंनि खे बी अख्तियारि करणा खपिनि।
सिंधी जो आनलाईं डिकशनरी इजाद कई वञे – जिअं हर हिंदुस्तानि बो॒लीअ में आहे।
हिक सिंधी पोरटल वेबसाईट वजोद में आणिजे जिंअं सिंधी नोजनानि खे बो॒ली जे नसबत फाईजनि बाबति जा॒णि मिले जेके सिंधी संसथाऊ करे रहयूं आहिनि।
हिंदुस्तानि में सिंधी तद॒हि पुखति थिंधी जद॒हि बो॒ली जा॒णिदडनि ऐं सिंधी संसकृति तोडे समाजिक संसथाउनि में कहि रित ऐको ईंदो। इहो रुगो॒ तद॒हि मूमकिनि आहे जद॒हि सिंधी सिंधी अकादमयूं तोडे पंचायतूं कहि हिक पलेटफार्म ते हिकु थिंदयूं। जेतोणेकि इन संसथाऊन जे कम करण जो दाईरो धारि ई आहे पर जेकरि सिंधीअ जो प्रचारि करणो आहे तह इहो तमाम जरूरि आहे तह असीं पहिंचातियूं जी मदद वठोउ। इन गा॒ल्हि खे बिलकूल नह विसीण खपे पंहिचातुनि जो सिधो सहूं वाटि सिंधी समाज सां आहे।
बो॒लीअ जो मसलो ईंतहाई वदो॒ आहे। इहो असां जो पूरो धयानु लहणे।
Courtsey : Rakesh Lakhani, Gandhidham
बो॒लयूं रुगो॒ वसयलि या तरकी कंदड मुलकनि में नथयूं मरनि। बो॒लयूं टिहि दुनिया या थर्ड वर्लड में जाम पयूं मरिनि। हिदुस्तानि बाबति इहो थो चयो वञे तह हित 198 बो॒लयूं फना थिअण जी कगार में आहिनि। पाकिस्तानि लाई इहा ग॒णपअ थोडी घ़ट आहे फकत 15 । मतलब जे जेतिरो वदो॒ मुल्क ओतरियूं वधिक बो॒लयूंनिं जे फञा थिदडनि जी तादादि। ऐडहो हालि लग॒ भग॒ हर हिक मुल्क सां पयो थे। इहो अंदेशो थो लगा॒ईंजे तह 2050 ताई दूनिया जे 6000-7000 बो॒लयूनि मां 90 सेकडो फना थी वेंदयूं। इहो सब रूगो॒ इन लाई जे दुनया जी 97 सेकडो आबादी 4 सेकिडो बो॒लयूनि ई पया इसतमाल कनि। जेतोणेकि पिछाडीअ जे किन सालनि में इन मसले ते चङनि जो धयानु वयो आहे ऐं चङो कमू पिणि थियो आहे पर ईन जे बावजूदि बो॒लयूंनि जे फना थिअण जो सिलसलो सांधईं पयो लहिंदो य़ो अचे।
ऐडही गा॒ल्हि नाहे तह बो॒लयूं रूगो॒ कलोम्बस जे नई दुनया या नयू वरर्ड मे मूयू आहिनि- इंगलेंड जे महाराजा हेनरी सतो जो कि वेलस जो ई रहाकू हो वेलसि बो॒ली जेका इगलेड जे उतर ऐ उतर ओलहि मे पई गा॒ल्हाईजे – इन बो॒लीअ ते प्रतिबंद लगा॒यो। 400 सालनि खां पोई वरि इहो प्रतिबध हठायो वयो पर तेसिताई चङी बर्बादी थी चूकी हई। जेतोणेकि इन बो॒लीअ खे वेसल मे अंग्रेजीअ जेडहा हक मिलयलि आहिनि, यूरोपियनि यूनियनि भी इन बो॒लीअ जे जोगी जाई दि॒नी आहे पर इन जे बावजू अजु॒ वेलस मे मस जेडहा 20 सेकडो ई माण्हू आहिनि जनि खे इहा बो॒ली सुठे रित पई गा॒ल्हिअनि अचे। फांस में भी ईअं ई थियो हूकूमति कानून जी मदद सां सघ रखिदड बो॒लयूनि पहिंजी सघ देखारे थोईई वारीयूं बो॒लयूंनि खे नासु कयो।
हिंदुस्तानि में जेतोणोक असीं पहिजी अनेकता ते फकरु कंदे नह थकबा अहियूं पर थोडाईअ वारिनि बो॒लियूंनि तोडे कोमनि दा॒हिं वहिंवारि फकरु करण जोडहो भी नाहे। जेतोणेकि यून्सको मोजीबु हिंदुस्तानि में फञा थिंदड बो॒लयूनि में सिंधी नाहे पर इन सां सिंधी ते खतरो कहि कदरु घटि आहे सो भी नाहे। बो॒लीयूनि बाबत वेबसाईट-ऐतिंनोलाग सिंधी खासि करे हिंदुस्तानि में सिंधीअ बाबत कजहि रिन नित थी बयानु करे- Many Sindhis do not learn their traditional ethnic language. Mainly women and older adult speakers. Also use Hindi or other state language.
हे बयानु शाहित आहे तह सिंधी बो॒ली सिमटजे पई। दुनिया भर में हिअर बो॒लीयूनि खे वजूद खे सोघो करण जी कवायति पई हले। भले उहो अमेरिका में हुजे, अफरिका में हूजे या लेठिनि अमेरका में- फना थिंधड बो॒लयूं चङनि जो धयान पई छिकायो आहे।
पर इन सभनि खां वदो॒ सवालु इहो आहे तह बो॒लयूनि जे फना थिअण में ऐदो॒ हुलु छो। छो असी इन बो॒लयूनि ते ऐतरि हाई घोडा पई कयोऊ, छोन नह असी बो॒लयूनि खे पहिंजे राहि ते छदोऊं- जिअं असी संसकृति या सकाफत सां कंदा आहियूं। बो॒लयूं तह रूगो॒ गा॒ल्हिईअण जो हिकु जरिओ ई आहिनि। पर इअं नह पयो थे। बो॒लयूनि खे बचाअण जी भरपूर कोशशयूं पयू थेनि। दूनिया जे कहि भी ऐलाके खे दि॒सो अफरिका, ऐशया, अमेरिका, यूरोप या आसट्रेलिया हर हंद अव्हां खे बो॒लयूंनि लाई जाखडो कंदड तंजमयूं लभिंदयूं । बो॒लयूंनि खे ब़चाअण जो हिकु वदो॒ मकस्द इन लाई असां जो धयानु पई छिकाअंदो आहे छाकाणि तह बो॒यूंनि जी सिधी वाटि इंसानी सोच, ईंसानी संसकृकि ऐं ईंसानी सुञाणप सा गंद॒यलि हूंदी आहे। मिसाल जी गा॒ल्हि सिंधी में 20 लफज उठ जी जुदा आहिनि, सागे॒ रित केनेडा जी दे॒ही बो॒लयूंनि खे दि॒सींदासिं तह सागी॒ रित बर्फजे जुदा जुदा किसमनि लाई ऐतिरा नाला लभिंदां ऐं जेकि इन बो॒लयूंनि जा गा॒ल्हिईंदड माण्हूं गा॒ल्हाईंदा आहिनि, पर साग॒या लफज हिंदिं तोडे अंग्रेजीअ नह हूजण सबब जद॒हि असिं इन बो॒लयूंनि दा॒हिं झूकोउ था तह इन खोट जो असर अंसाजी संसकृति ते पिणि पवे तो । साणु साणु वरि जद॒हि असीं जी रितु रसमन जी गा॒लहि कयोउ तह सागो॒ इ मंजर पई नजर ईंदो। हिक गा॒ल्हि असां खे विसीण नह खपे तह धारि बो॒ली सां धारीं संसकृति जो भी असरु थो वधे। इहो दि॒ठो वयो आहे तह जनि सिंधी घर में भी अंग्रेजी गा॒ल्हाअण जो रिवाज विधो आहे से होरियां – होरयो अंग्रेजी संसकृति दा॒हि भी झुका आहिनि जेको सुभाविक आहे। साग॒यो हालु हिंदीअ सां भी थो थे।
जेकरि दिन धर्म जी गा॒ल्हि कजे उते भी साग॒यो मंजरि पई नजरि ईंदो हिंदु धर्म संसकृत सां, बौध धर्म पाली- प्राकृत सा, सिंख धर्म पंजाबी सां, यहूदि हर्बयू सां तह इसलाम अर्बी फार्सीअ सां हमेशाहि ईं गं॒दे॒ दि॒ठी वेंदो आहे। चयो वेंदो आहे तह अमेरिका में चर्चनि में अंग्रेतीअ नह गा॒ल्हिआण लाई लाई यातनाउ ताईं दि॒ञी वेंदयूं हयूं। असांजी इंसानी सोच ई कजहि ईअं थिंधी आहे। बो॒लीअ जो असरु इंनसानि ते कूदरति थिंदो आहे जहिखे नजरअंदान नथो करे सघजे।
हिंदुस्तानि में तोडे हिदुतनानि खां बा॒हरि रहिदडनि सिंधयूनि में ऐं खासि करे हिदुनि में हिक सोच वेठिल आहे तह बो॒ली खे नह पर संसकृति खे सोघो कजे। असां जे लेखे जेकरि असी पहिजी सुञाणप कायमि रखण जे नसबत सिधी दि॒ण वार खे वधिक मानु द॒उं तह इन में का भी घटि गा॒ल्हि नह लेखणी खपे – छा काणि तह असां जो मकसद पई पूरो तो थे। असा इहा गा॒ल्हि विसारे वेहिदो आहियू जद॒हि असीं बो॒ली था मठोऊं तह इन म़टयलि बो॒लीअ सा ग॒दु॒ इन बो॒लीअ इन जी संसकृति जो भी घाठो असरु पवे थो। इन जो वदे॒ में वदो॒ सबूत हिंदु- सिंधी तोडे पंजाबी आहिनि –जिते धारि बो॒लीअ खे दिलो जान सां अपञाअण सबब संदुनि पहिंजी असलोकी सफाकति खां भी परे थिया आहिनि। इन जो हिकु सबब आहे सिख जेके पंजाबी बो॒ली सबब वधिक पंजाबी लगिंदा आहिनि ऐं सिंध जा सिंधी वधिक सिंधी। इहो सब भले असांजी सोच सबब ई छो नह पर हकिकति आहे। इहे सब असर कुदरति आहिनि।
पिछाडीअ जे सतरि सालनि में असीं जहि हिक गुथी थे सुलझाअण में ई पूरा पया आहियूं से आहे किअं हिदुस्तिन में जिंदो रखोउं सिंधी बो॒ली खे। असां जी पूरि कोशिशनि जे बावजूद असीं अगते वधण खां पोईते ई था थींदा वनऊं। पिछाडीअ जे 30 सालनि में सिंधी पढिंदडनि जी तादाति समाम तकडी घटे थी पईं। इऐ तह के जवाब असां वटि हमेशाहि ई तयार हूंदा आहिनि- मसलनि सुबो तोडे खसुसि ईलाईका नाहिनि, सिंधी पढही कमाई जा के भी साधनि नाहिनि, सिंधी लिपी (अर्बी लिपी) ओखी आहे, सिंधी हिक मुअल बो॒ली आहे वगिराहि, वगिराहि, पर हे मसलो भी ऐडहो सिधो नाहे।
हिंदुस्तनि तोडे दुनिया भर में जिते भी बो॒लीअ फञा थियूं आहिनि उते घणो तणो बो॒लयूं जे गा॒ल्हिईंदडनि खे पहिजा खसुसि इलाईका आहिनि। पर इन जे बावजूद इन बो॒लयूं फना थेनि पयूं वरि सिंधी तहि महलि संविधानि में पहिंजी जाई वालारी जद॒हि मैथली, कोंकणी, बोरो जे बाबति माणहूं सोचिंदा भी कोन हवा। इनहिनि बो॒लयूंनि खे पहिजा ईलाईका ई नह पर गा॒ल्हिईनदडनि जी तादादि भी वधीक आहे। वरि हिंदुस्तानि में ऐडहा भी ऐलाईंका आहिनि जति पहिंजो सुबो हूंदे भी बो॒लयू अग॒ते कोन वधयूं आहिनि मसलनि कशमिरि में कशमिरि बो॒ली, जिते उर्दू दफतरि बो॒ली आहे। वरि असां विरहाङे जो रुअण आहे जे निबरीई नथो निबरे जद॒हि तह सिंध खां वधिक हक सिंधी बो॒ली खे हिंदुस्तनि में आहिन।
हिकु वकत हूंदो हो जद॒हि सिंध में पी टी वी में सिंधी जो अधु कलाक या कलाक खनु जा प्ररोगराम ई नसर थिंदा हवा। जिअ हिअर हिंदुस्तनि में सिंधीअ जो हालु आहे सरकारि चेनेलनि में।पर अजु॒ जी तारिख में हिअर पंज पंज निजी सिंधी टी पी चेनेल आहिनि जिते सिंधी, पहिंजी बो॒लीअ जे दम ते पहिंजी रोजी॒ था कमायनि जेकरि सिंध में रहिंदडनि में हूब नह हूजे हा तह इहो सब कद॒हि मूमकिनि नह थिऐ हा। अजु॒ हिंदुस्तानि में सिंधी कोमी बो॒ली हूअण सबब के सरकारि हक थी लहणे पर बद किसमतीअ सां असां जो धयानु ऐडहे पासे नह हूंदो आहे या असां सिंधी बो॒लीअ खे मिलयलि हकनि सां वाकिफ नाहियूं। अजु॒ जरूरत आहे तह तह पहिजे हकनि खे सुञाणोऊ ऐं पहिजो वजूद कायम धायम रखोऊं, छाकाणि तह असीं सिंधी बो॒लीअ सबब ई सिंधी आहियूं ऐं बो॒ली रहिंदी तह सिंधीयूनि जो वजूद रहिंदो- संसकृति जी गा॒ल्हि तह ईन खां पोई थी अचे।
हिक लङे दि॒सजे का भी बो॒ली पअहिजे जा॒ऐ उसरयलि नह हूंदी आहे पर माण्हूं जे वाहिपे सां पुखती थिंदी आहे। जेकरि वाहिपो रहिंदो तह तहजीब भी बो॒लीअ जे जरिऐ अग॒ते पुखती थिंदी वेंदी। अग्रेजी सा भी इअं ई थयो। कलोमबसि जे नई दुनिया जे इजादि खां पोई अंग्रेजनी इन जो पोरो फाईदो वरतो वरि ईंडसट्रियलि रेवीलयूंशनि (Industrial Revolution) के करे हुनर सां ग॒दु॒ बोलीअ जे भी प्रचार थियो।संदुनि वाहिपो भी वधींदो वयो। हिक चवणि असां नंढे हूदे खां बह अंग्रेज कद॒हि भी का धारि बो॒लीअ में कोन गा॒ल्हाअनि भले हो पाण कहिं धारि बो॒लीअ जा केतिरा नह धारि बोलीअ में माहिरि हूजिनि। साग॒यो ई हालि जरमनि. फेंच या ईसपेनिश जो आहे। अजु॒ यूरोपियनि यूनियनि में 25 खां वधिक मुलक आहिनि ऐ इन खां तमाम घणयूं बो॒लयूं तसलिमि थिअलु आहिनि, पर अंग्रेजीअ खे यूरोपियनि मूलकनि में हिकली दफतरी बो॒ली करे को भी कबूल करण लाई तयारि नाहे। भले सभिनि खे हिक बोली नह हूजण सबब तकलिफ थे थी। यूरोप जूं ब॒यूं बो॒लयूं जद॒हि तह पहिजे पाण खे भी अग॒ते वधायो असां हिंदुस्तनि जूं बो॒लयूं कोन करे सघासिं।
हिंदुस्तनि में हमेशाहि हिकु बो॒ली थोपण जो रिवाज रहयो आहे। संसकृति प्राकिर्त ते थोपी वई। हिंदी ते हमेशाई ईं इहो लहो ईलजामि मडयो वेंदो आहे तह इहा बो॒ली थोपी पईं वञे। असां खे हिंदुस्तनि में जेके मसला आहिनि साग॒या मसला यूरोप में भी आहिनि। यूरोपिय यूनियनि में 25 बो॒लयूं आहिनि पर सभनि खे मानु पयो मिले। हो अंग्रेजी या लेठिनि खे मथे नथा चाडिनि पर टनांसलेशनि टेकनालाजी जे भरोसो था कनि। बदकिसमतीअ सां हिंदुस्तानि में ईअं नह कयो वेंदो आहे। जहि सबब कहि भी थोडाई वारी बो॒लीअ लाई जखडे में तमाम घणी तकलिफ पई पेश अचे।
हिंदुस्तानि में सिंधी बो॒लीअ जे वाधारे जे नसबत ब॒ह अहम मसला आहिनि-
मादरि बो॒लीअ जो ग॒लति ईसतमालि- असां हिंद जे सिंधीयूंनि में बारनि सां जा॒ऐ ई हिंदी या अंग्रेजी था गा॒ल्हिआयूं। असां में ईहो हिकु रिवाजु थी वयो आहे। सो सिंधी बा॒रनि जी पहिरि बो॒ली यानी फर्सट लेगवेज अण सिंधी ती थे। सिंधी गा॒ल्हाईण जो रिवाज पोई थो विधो वञे। इन जो मसलब इहो तो थे सिंधी बा॒रनि लाई सिंध बि॒हि या टि बो॒ली ती थे। इहो दि॒ठो वयो आहे तह को भी बा॒रु ते पहिरि सिखयलि बो॒ली जो असरु तमाम घणो थो थे, पोई सिखयलि बो॒लयूंनि जी भेटि में। कच्छ में कच्छी सां इहो दि॒ठो वयो आहे। हो अग॒वाठि बा॒रनि खे कच्छी था सेखारिनि ऐं पोई गूजराती। अग॒ते हलि संदुनि बा॒र गुजराती स्कूलनि में था पढिनि, पर कच्छी नथा विसारिनि। पर असां इन जे उभतरि था कयूं। अग॒ धारि बो॒ली था सेखारोऊं पोई पहिंजी। इहो ई सबब आहे जे असां खे ऐतरि तकलिफ पई थे बा॒रनि में सिंधी जो रिवाज विझण में। जेसिताईं असीं बो॒लीअ दा॒हीं पहिंजो वहिंवारि कोन मटिंदासिं असां सिंधी खे कद॒हि भी पुख्ती कोन करे सघींदासिं। इहो जरूरि नाहे तह हर बा॒र सिंधी मिडियम में पढिंदो तह ई सिंधी सिखी सघींदो। पर जेकरि पहिरि बो॒ली जे रुप में पढिंदो तह यकिनि सजी॒ उमर ई यादि रखींदो, पोई भले इहो बा॒रि दुनिया जे कहि भी कूंड- कूडच में छोन नह रहे। जद॒हि के बो॒लीअ तोडे तालिम जा माहिरि चवनि तह बा॒र खे पढाई पहिजे बो॒लीअ में दि॒ञी वञे तह हो समझी वठिंदा आहिनि तह बा॒र खे पहिजी मादरी बो॒ली खेनि जा॒ऐ खां सेखारि वञे थी।
बो॒लीअ जे नसबति असीं बि॒ईं गलति वहिंवारु लिपीअ सा कयो वयो आहे। इन जो हिक वदो॒ सबब इहो आहे तह लिपीअ जे नसबत सिंधीयूनि जो धयानि कद॒हि भी बो॒लीअ जे वदूज ते कोन रहयो आहे। दर असलि सिंधी बो॒लीअ तोडे लिपीअ जे नसबत असीं अंग्रेतनि महलि तह वेवसि हूवासि छो तह घणोई तह मसलमानि जी हई – जेके अगे॒ पोई पहिंजी गा॒ल्हि मञाऐ वटिनि हा वरि जेकरि हिंदु देवनागरीअ ते जिद जे भिहिन हा तह सिंध जो भी हालु कशमिर जेडहो हूजे हा- हिदु हिंदीअ दा॒ही झूकिनि हा ऐं मुसलमानि उर्दू दा॒हि। पर विरहांङे बैद उन खां भी वधीक गलति कई आहे-जे हिक गलति खे अग॒ते ई नह पर उन गलती ते फकरु कय़ो आहे। हिक लंङे दि॒सजे तह लिपीअ जा मसला तह अचणा ई हवा। हिंदुनि कद॒हि भी आर्बी लिपी कबूल कोन कई हूई पर अंग्रेजि कबूल कराई हूई। हिंद में अची जेकरि सिंधी लिपीअ जे चूंड जेकरि बो॒लीअ जे वजूद तोडे निज॒ सिंधी लफजनि जी बूनयादि ते कनि हा तह नह अर्बी- फार्सी ऐं ना ई रोमन- लेटिनि सिंधी बो॒लीअ जी लिपीअ थिअण को हक माणे हा। लिपीयूं तह गुजरातियूं ऐं मराठीनि पिणि मठयूं आहिनि पर खेनि का भी तकलिफ कोन थी छा काणि तह संदुनि पहिजे निज॒ अखरनि सा को भी समझौतो कोन कयो । पर बदकिसमतीअ सां सिंधी में विरहांङे बैद भी धारी लिपीअ जो सिलसिलो आहे जे बंद थिअण जो नोउं नथो खणे। लिपीअ जे नसबत आर्बी लिपीअ जे हिमायतियूं जो चवण हूंदो हो तह इन सां सिंध जे सिंधीयूनि सां गंदे॒ रखिंदो पर इन गं॒द॒ण जे हिर्स असां खे पहिंजनि में ई बेगाणो करे छदो। दरअसलि हिंदुस्तनि में जेके भी लिपयूं घणो तणो इसतमालि पयूं थेनि से सब फेनोटिक आहिनि जहिसां सा खिखण तमाम सहूलो थिंदो आहे, छाकाणि तह जहि रित बो॒ली गा॒ल्हिईंजे थी सागे॒ रित ई लिखजिनि थयूं। इन गा॒ल्हयूंनि खे नजरअंदाजि नथो करे सघजे।विरहांङे बैद भी असी इन रगडे खे निवेरे कोन सघीसीं छा काणि तह देवनागरीअ जो जेको प्रचारि कयो वयो सो गलति हो। असां देवनागरीअ खे देवताउनि जी लिपी कोठे, सिंधीअ खे वदे॒ में वदो॒ नुकसानि पुजा॒यो । असां ईहो गा॒ल्हि विसारे वेठासिं तह बो॒ली तोडे लिपी तोडे बो॒ली कद॒हि भी कहि खसुसि दीन धर्म मञण वारनि जी नह थिंदी आहे, ऐ जद॒हि भी इहा कोशश कईं वेंदी आहे तह हाल उहो ईं थिंदो आहे जेको उर्दू जो विरहांङे बैद थियो। हिकु वकत हूंदो हो जद॒हि इन बो॒लीअ ते हिंदु भी फकरु कंदा हवा।
हिअर रोमनि ते भी अजु॒ चङो हूल पयो थे। जेका लिपी हिअर जोडाई वई आहे – तहि मां तह इहो लगे थो तह ज॒णु असी अर्बी लिपीअ जी गलतियूं मां असा कुझ भी कोन सिखया आहियूं। चंड बिंदु, अंशुविरिया, अधु अकरि विटे लफजनि लाई कोन भी अखरि मूकर्र कोन कयो वयो आहे। हिदुस्तनि जी बो॒लयूंनि जे ग्रामरनि में ई मात्राउ अहम जाई थयूं वालारिनि। पर नह जा॒ण छो इहे समझोता कया वयो। वरि सिंसकृति बो॒लीअ जे नतबत रोमनाईजेन में हिक सदीअ खां भी वधीक जे अर्से खां कमु पयो हले। इन जो फाईदो जद॒हिं हिंदी-नेपाली-मराठी बो॒लयूं वठी य़तूं सघीनि तह पोई सिंधी छोन नह …….इन लिपीअ खे दि॒सी लगे॒ तह इऐं थो ज॒णु लिपी जोडाअण जी तमाम घणी तकड हूई।
सिंधी पंचातयूं जे नसबति जेकरि गा॒ल्हि कजे ईहे हमेशाहि ई ईहे सामाजिक संसथाऊ ई थी रहयूं आहिनि। सिंध में मुसलमा जे राजय में ईन पहिचातयूंनि जो अहमि किरदारि हो। इहे संसथाऊ सिंधी हिंदुनि जे समाज सां ऐतरयूं तह गं॒द॒यलि हयूं जे मुसलमानि मां जेके इन जे कम कर्ज बाबत जा॒णण भी हिक कामयाबी मञी वेंदी आहे। चङा सामाकिज मसला असी इन सांसथा मां ई निबेरिंदा हवासिं। दे॒ति लेति बाबति बी घणी दे॒ वठि कजे सा भी पक पंचातयूं ई कंदू हयूनि। विरहांङे बैद भी असी साग॒यूं संसथाउ बी॒हरि जोडाईसिं जिअं असांजा मसला असी पाण ई निबेरे सघोऊं। हिंदुस्तानि में ऐडहो वरली ई को शहरु या कसबो लभींदो जिते सिंधी पंचातयूं नह हूंदयूं। ऐडहा चङा शहरि हिदुसतानि में लभींदा जिते इन संसथाउ सुठो कमु कया आहे ऐं सिंदुनि इजति में तमाम घणी आहे, पर ईन जे बावजूद धारे मूलक जो तह असरु पवण लाजमी आहे। कनि वदे॒ शहरिनि में इन पहिचातयूंनि खे घटि पयो लेखयो वञे। इन खे इहो मानु नह पयो दि॒ञो वञे जेको इहे संसथाऊं लहणिनि।
सिंधी पहिंचातयूंनि जो को किरदारि कद॒हि भी बो॒लीअ जे नसबत कोन हो। सिंध में रहिंदे इन जी का भी जरूरत कोन पई हूई। बो॒लीअ जा मसला सिंधी लाई विरहांङे बैद जा आहिनि। हिंदुस्तनि में सिंधी पंचायतूं ऐं सिंधी अकादमियूं में वदे॒ में वदे॒ फर्कु इहो आहे तह सिंधी पंचातयूं में ठेहिअ जो बदलाव थियो आहे जेको अकादमियूनि में को घणो नजर कोन आयो आहे। इहो ई सबब आहे जे सिंधी बो॒ली भी कहि कदुरु बदलाउ कोन आयो आहे खासि करि नई टेहि जे नसबत। अजु॒ इन जी सखत जरूरत आहे तह सिंधी अकादमयूं खे पहिंज पाण में सिकूडण खां किअं रोकिंजे। हूकूमत जेके भी पैसा सिंधी बो॒लीअ जे वाधारे जे नसबत खर्चे थी से साखर्ता कोन था नजर अचिनि। इहो हिकु सबब आहे जे असां वटि संसथाउं जो हिक धाचो हूअण जे बावजूद असां लेखकनि तोडे अवाम में या सिंधी बो॒लीअ तोडे नौजवानि में रोबतो कोन जोडयो वयो आहे जहि सबब हूकूमति जू या सिंधी बो॒लीअ जे चाहिंदडनि जू उमेदयूं पाणी फेरयो आहे। अजु॒ इअं थो लगे॒ ज॒णु सिंधी बो॒ली ते खचर्ल पैसा अजा॒या आहीनि- सिंधीयूंनि में सिंधीअ जो वाहिपो घटण भी हिन वार थिअण जो हिकु अहम सबब आहे।
सिंधी बो॒लीअ जे जाखडे जे नसबत सिंधी अकादमियूमनि जो करिदार तमाम अहमि आहे पर बदकिसमीअ सां संदुनि में ऐडहो को भी बदलाउ सिंधी बो॒लीअ लाई कोन आंदो आहे जहिजी उमेद कजे पई । सिंधी लेखकनि जो अगे॒ भी इहो रायो रहयो आहे तह अकादमियूमनि पारां मालि मदद दिं॒दड किताबनि जो मयार घठि ई रहियो आहे। आजादीअ खे अची अजु॒ सतरि साल थिआ आहिनि इन जे विच में चङो वदलाउ आहे आहे जुदा जुदा बो॒लयूंनि जे साहित्य तोडे साहित्क तंजमियूं में पर इन जे वावजूद असी ऐतिरो को घणी विख वधाऐ सघा अहियूं। अकादमियूनि जे कमनि जी जा॒णि आम सिंधी पहिंजे सोबनि में भी घठि आहे। के अकादमियूं जेकरि सुठो कम भी कयो आहे तह आम रिवाजी इंसानि में संदूनि कम जी का घणी जा॒णि नाहे। अकादमियूनि खे खपिंदो हो तह सालि में हिकु लङे गद॒जीनि जिअं जुदा जुदा अकादमियूनि जे कमनि ते गा॒लि बो॒ल्हि करे सघजे। किन अकादमियूनि जी पहिजी वेबसाईट भी आहे पर इन साईट जो फूरो फाईदो कोन पयो परतो वञे।
जेकरि असीं में दि॒सिंदासिं उते सिंधी दइतरी बो॒ली नाहे। सिंधीयूनि खे उते नेकरियूंनि लाई उर्दू ई थी पढणी पवे, सिंध जे बि॒न वद॒नि शहरनि मसलनि कराची ऐं हेदरआबादि में मुहाजरनि जो तमाम घणो जोर आहे पर इन जे बावजूद सिंधी अग॒ते वधे थी। जेको कानून 1970 में भूठे जे दि॒हनि में पास थियो हो सो अजु॒ ताई अमल में कोन आयो आहे। जदि॒हि इहो कोनून पासि थिय़ो तह कराचीअ तोडे हेदरआबाद में सिंधीयूंनि महाजरनि जा फसादि थिया, जहि सबब इहो कोनून अमल में कोन आणे सघयो। वरि हिन साल 4-5 अहम बो॒यूमनि लाई जेको कोम बो॒ली बिल पेश करण जी कोशिश कई वई – उन खे पेश करण खां अगु॒ ई रोकयो वयो। पर इन जे बावजूद सिंधी बो॒ली सिंध में मूई नाहे। सिंध में सिंधी अकादमयूं हिंदुस्तानि जे अकादमियूं खा घणो वधीक ऐं कहि कदूरि सठो कम करे दे॒खारो आहे। सिंध जूं ब॒ह वद॒यूं सनजमयूं सिंधी अदबी बोर्ड तोडे सिंधी लेंगवेज अथार्टी सिंधी बो॒लीअ जे नसबति जो कस कहि कदुरु खेण लहणे। सिंध अदबी बोर्ड चङनि किताबनि खे डिजीटलाई करे पहिंजी लेबसाईट में शाई कयो आहे। हो असं खां घटि बजेट जे बावजूद सुठो कमु कयो आहे।
हिंदुस्तानि में सिंधी बो॒लीअ जो दारूमदार हिअर नोजवानि ते आहे। सिंधी बो॒लीअ जे नसबत जेके भी कोशशियूं थियूं आहिनि से का भी कामयाबी कोन माणे सघयूं आहिनि। संदुनि राबतो भी सिंधी संसथाउं सा नह जे बराबर ई रहयो आहे। गा॒ल्हि रूगो॒ सिंधी बो॒ली सां वाकिफ करण जी नाहे पर सिंधी घरनि में हिंदी तोडे अंग्रेजी जो वाहिपो कद॒हण जो बी आहे। ईहो तद॒हि मूमकिनि थिंदो जद॒हि असीं लिपीअ ते तोडी लचीलो पण या फलेकसीबिलिटी खणी ईंदासिं। हिंदुसतानि में बो॒ली तसलिम बि॒हिं लिपूयूनि में थी आहे। मतलब बि॒हिं लिपीयूनि खे हिक जेडहा हक आहिनि पर वाहिपो सिंधी अर्बी जो घणो रखयो वयो आहे। अकादमीयूं पांरा भी शाई थिंदड कितानि में भी अर्बी जो वाहिपो तमाम घणो थो थे, जेको नोजवानि जे समझ खां बाहिर थो ते। हिक गा॒ल्हि असां खे जहनि में रखणी खपे तह लेखकनि जे दम ते सिंधी बोली जिंदी कोन रहिंदी - जेकरि ईअं मूमकिन थी सघे हा तह अजु॒ संसकृत भी हिक अमाव जी बो॒ली थिऐ हा। बो॒लयूं तद॒हि जिंदयूं सहि सघींदयूं जद॒हि इन बो॒लीअ खे अवाम जो साथ मिंलिंदो आहे।
सिंधी बो॒लीअ जे आईंधे लाई आउं के सुझाव दे॒अण चाहिंदुसि जेकि हिअर बो॒लीअ जे नसबत तमाम अहम आहिनि-
सिंधी अकादमियूंनि में तोडे पहिंचातयूंनि जेको भी लिखपढ जो कमु पयो थे सो हिंदी – अंग्रेजीअ जमें राबतो बो॒लीअ जे वाधेरे नी जाई ते देवनागरी सिंधी में थे।
हर सुबे जी अकादमियूं में खासि करे बो॒लीअ जे वाधारे जे नतबति कमिठियूंनि में सिंधी पंचातयूं जे नौजवानि अहदेदारनि खे जाई दि॒ञी वञे जिअं अकादमियून खे सिंधी समाज में नोजवानि बाबति पूरो फिडबैक मिलि सघे।
अकादमियूं पारा सिंधी शाईं थिंदड किबाबनि जो वदो॒ हस्सो देवनागरी सिंधी जो हूजण खपे
सिंधी किताबनि जी डिजीटलाजेशनि थिअणी खपे जिअं कूंड कूकचनि में सिंधी पहिंजे बो॒लीअ तोडे साहित्य सां वाकिफ हूजिनि
सिंधी संसथाउ हिक साफटवेअर तयार करण जी घूर करे जहि जे मार्फत अर्बी तोडे देवनागरीअ में मट सट करे सघजे। ऐंडहा सागया कदमि कशमिरि में खया वया आहिन – सो सिंधीयूंनि खे बी अख्तियारि करणा खपिनि।
सिंधी जो आनलाईं डिकशनरी इजाद कई वञे – जिअं हर हिंदुस्तानि बो॒लीअ में आहे।
हिक सिंधी पोरटल वेबसाईट वजोद में आणिजे जिंअं सिंधी नोजनानि खे बो॒ली जे नसबत फाईजनि बाबति जा॒णि मिले जेके सिंधी संसथाऊ करे रहयूं आहिनि।
हिंदुस्तानि में सिंधी तद॒हि पुखति थिंधी जद॒हि बो॒ली जा॒णिदडनि ऐं सिंधी संसकृति तोडे समाजिक संसथाउनि में कहि रित ऐको ईंदो। इहो रुगो॒ तद॒हि मूमकिनि आहे जद॒हि सिंधी सिंधी अकादमयूं तोडे पंचायतूं कहि हिक पलेटफार्म ते हिकु थिंदयूं। जेतोणेकि इन संसथाऊन जे कम करण जो दाईरो धारि ई आहे पर जेकरि सिंधीअ जो प्रचारि करणो आहे तह इहो तमाम जरूरि आहे तह असीं पहिंचातियूं जी मदद वठोउ। इन गा॒ल्हि खे बिलकूल नह विसीण खपे पंहिचातुनि जो सिधो सहूं वाटि सिंधी समाज सां आहे।
बो॒लीअ जो मसलो ईंतहाई वदो॒ आहे। इहो असां जो पूरो धयानु लहणे।
Courtsey : Rakesh Lakhani, Gandhidham
Tuesday, 7 February 2012
Sunday, 5 February 2012
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