Wednesday, 30 May 2012

भाषा व संगीत से ही संस्कृति की पहचान होगी


भारतीय सिन्धु सभा, महानगर अजमेर
                                                                                                                                                 

अजमेर - भाषा व संगीत से ही संस्कृति की पहचान होगी एवं कार्यशाला के माध्यम से विधार्थियों को सस्ंकार दिये जाते हैं। उक्त आर्शीवचन भारतीय सिन्धु सभा की ओर से निर्मल धाम दरबार के सहयोग से स्वामी सर्वानन्द विधालय में 11 दिवसीय कार्यशाला के समापन के अवसर पर स्वामी आत्मदास ने कहे ।

इस अवसर पर कार्यशाला में श्री नवलराय बच्चाणी, श्री भगवान कलवाणी, श्री दौलतराम थदाणी, प्राचार्या श्रीमति मन्जीत कौर, श्रीमति देवी बार्इ मोटवाणी, श्रीमति कौशल्या कुन्दानाणी, श्रीमति शान्ता भिरयाणी ने शिक्षा, योग व संगीत की पूर्ण जानकारी दी जिससे विधार्थियों ने प्रस्तुत किया । प्रार्थना गीत, सांइ महर कजार्इ, बालक दिस तू उभ जा तारा, सिन्ध मुहिजी अम्मां की प्रस्तुति को सभी ने सराहा ।
                       
सभा के प्रान्त मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने आगामी 16 जून 2012 को सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1300वें बलिदन के अवसर पर स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम की पूर्ण  जानकारी देते हुये अधिक संख्या में उपसिथत होने की अपील की ।
           
इससे पूर्व र्इष्टदेव झूलेलाल, मां सरस्वती व स्वामी माधवदास के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया । पाषर्द खेमचन्द नारवाणी ने स्वागत भाषण व श्री तुलसी मोटवाणी ने आभार प्रकट किया। विधाार्थियों को स्मृति चिन्ह व प्रशसित पत्र प्रदान किये गये ।

            कार्यक्रम में गोविन्द हिमथाणी, राम निहालाणी, रमेश एच. लालवाणी मोहन तुलसियाणी, कमलेश शर्मा सहित कर्इ कार्यकर्ता उपसिथत थे । 

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