Sunday, 25 December 2011

भारतीय सिन्‍धु सभा जोधपुर महानगर की बैठक सम्‍पन्‍न


भारतीय सिन्‍धु सभा जोधपुर महानगर की बैठक सम्‍पन्‍न
सिन्‍ध्‍ुापति  महाराजा दाहरसेन का १३०० वां बलिदान वर्ष
जोधपुर । २५ दिसम्‍बर २०११ भारतीय सिन्‍धु सभा की जोधपुर महानगर की तीनों ईकाईयों की एक संयुक्‍त बैठक ८९ नेहरु पार्क में सम्‍पन्‍न हुई ।
प्रात ११ बजे से दोपहर ०१ बजे तक चली इस बैठक के प्रथम सत्र को राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के जोधपुर के प्रान्‍त  प्रचारक श्रीमान मुरली जी ने सम्‍बोधित करते हुए संगठन में कार्यकर्ता का महत्‍व समझाते हुए कार्यकर्ता के लिये करणीय कार्यो का वर्णन ि‍कया।
सिन्‍धु   सभा के प्रदेश संगठन मन्‍त्री मोहन लाल वाध्‍वानी ने १६ जून २०१२ को आयोिजत होने वाले महाराजा दाि‍हर सेन के १३०० वें बलिदान ि‍दवस  कार्यक्रम के बारे में विस्‍तार से जानकारी प्रदान की । उन्‍होने  बताया कि अजमेर में आयोजित  होने वाले इस समापन कार्यक्रम में पूरे प्रान्‍त से २५०००० सिन्‍धी बन्‍ध्‍ुाओं के भाग लेने की सम्‍भावना बताई। पूरे प्रान्‍त भर के कार्यकर्ता २०० से अधिक बसों में अजमेर पहुंचेंगं ।
भारतीय सिन्‍धु सभा के प्रदेश अध्‍यक्ष लेखराज जी माधू ने इस अवसर पर सिन्‍धयत सिन्‍धी परम्‍पराओं  का स्‍मरण कराते हुए याद दिलाया कि सबसे पहला मुगलआक्रमण सिन्‍ध ने झेला ७१२ ईस्‍वी में महाराजा दाहिहरसेन का बलिदान धर्म रक्षार्थ था । उन्‍हें स्‍मरण करके हम अपनी संस्‍कृति को समृद्व करने का पुनीत कार्य कर रहे है ।
भारतीय सिन्‍धु सभा राजस्‍थान के संरक्षक एवं संघ  के क्षेत्रीय बौद्विक प्रमुख कैलाश जी ने इस अवसरपर संगठन के महत्‍व को इंगित करते हुए आगामी कार्यक्रम को सफल बनाने का आगह किया ।
अन्‍त में भारतीय सिन्‍धु सभा के महानगर अध्‍यक्ष्‍ तीरथ डोडवानी ने आगन्‍तुक अतिथियों  का आभार व्‍यक्‍त करते हुए महानगर की ओर से उन्‍हें इस आगामी कार्यक्रम में अपेक्षाओं के अनुरुप्‍ परिणामों  का आश्‍वासन िदया ।

भारतीय सिन्‍धु सभा की इस   बैठक में अन्‍य पदाधिकारी जो उपिस्‍थित थे उनमे प्रदेश युवा अध्‍यक्ष श्री अशेक मूलचन्‍दानी महानगर के डा प्रदीप गेहानी एवं डा जयिकशन महिला  प्रमुख बहिन कृपलानी तथा युवा कार्यकर्ता श्री संजय इत्‍यादी  थे । 

Monday, 19 December 2011


                                                  जीवन परिचय
श्री मिर्चूमल जी सोनी का जन्म नवम्बर,1933 में मांझन्द, जिला,दादू सिन्ध प्रान्त में हुआ था। इनकी शिक्षा सिन्धी फाइनल तथा  शास्त्रीय संगीत में विशारद थे। पेशे से स्वर्णकार होने के साथ ही आपको  गीत,संगीत, नाटक,साहित्य एवं लेखन में महारत हासिल थी। आपने कई पुस्तकें भी लिखी थी जिनमें प्रमुख है मुहिन्जो मुल्क मलीर, रुह जा रोशनदान, मोतियन जो महिराण। आपको कई सम्मान भी प्राप्त थे, आप को राजस्थान सिन्धी अकादमी की और से ‘रुह जा रोशनदान‘ पुस्तक लिखने पर अवार्ड दे कर सम्मानित किया गया था।
आप के कई कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हो चुके है। आपने  कई स्टेज कार्यक्रमों का मंचन भारत के विभिन्न शहरों में एवं विदेशों में  खास कर  हांगकांग में स्व0 सेवकराम जी सोनी के साथ गोरधन भारती के सानिध्य में किया  है।
आप बडड़िया सिन्धी स्वर्णकार समाज में सलाहकार व सम्मानित सदस्य थे। आप भोलेश्वर मण्डल, वैशाली नगर के वर्तमान अध्यक्ष भी थे। आप वैशाली सिन्धी सेवा समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य एवं शहर की विभिन्न समितियों में सक्रिय योगदान एवं भागीदारी रखते थे।
आप बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिज्ञत स्वयंसेवक थे। आप भारतीय सिन्धु सभा,अजमेर के स्थापना के समय से ही सक्रिय सदस्य रहे। भारतीय सिन्धु सभा द्वारा आयोजित सिन्धी कार्यशाला में आपने सिन्धी  गीत संगीत का ज्ञान भावी पीढ़ी को दिया है।
दिनांक 18 दिसम्बर,2011 को आपका स्वर्गवास हुआ।

भारतीय सिन्धु सभा राजस्थान की ओर से हार्दिक श्रृद्वान्जली ।

Friday, 2 December 2011


गढ़े जीवन अपना अपना  
‘असम्भव! ये हमसे नहीं होगा!’ युवाओं के सामने चुनौति रखने पर पहली बार ऐसी प्रतिक्रिया पाने की उनको आदत थी। और फिर बात भी ऐसी ही हो रही थी। अंग्रेजी साम्राज्य की राजधानी लण्डन में बैठकर उनके ही बड़े अफसर से उसकी भारत में की गई ज्यादतियों का हिसाब मांगना? अपनी माँ बहनों के अपमान का प्रतिशोध लेना। बात से तो सब सहमत थे, पर क्या लण्डन में ये सम्भव है? सभी अनुभवी क्रांतिकारियों का मत था की अभी उनके दल की ऐसी स्थिति नहीं थी कि ऐसा कोई बड़ा कार्य सीधे हाथ में लिया जाये। बैठक में तर्कपूर्ण बातों पर ही निर्णय होता है। सावरकर को भी सबकी बा�¤ ¤ मानकर योजना को स्थगित करना पड़ा। पर उनकी भाव-भंगिमा से साथियों को पता चल ही गया कि वे इस निर्णय से प्रसन्न नहीं हैं। सब धीरे धीरे खिसक गये। केवल मदन बैठा रहा। सबसे छोटा तो था ही पूरे दल में नया भी था। इसलिये बैठक मे कुछ नहीं बोला था।
उसे याद आ रहा था सावरकर से प्रथम भेट का प्रसंग। युवा मदनलाल अपने पिता की अमीरी के मद में चूर लण्डन में पढ़ाई के बहाने रह रहा था और नाच-गाने, मस्ती में लगा रहता था। तब यह भोग ही उसे जीवन का सबसे बड़ा सुख अनुभव होता था। एक दिन उसने अपने देशी विदेशी युवा-युवतियों के दल के साथ इण्डिया हाउस के नीचे महफिल जमा ली। ग्रामोफोन की धुन पर सब थिरक रहे थे। उपर क्रांतिकारी दल की बैठक चल रही थी। एक भारत ीय युवा इस अय्याश दल का नेता है ये सुनकर स्वयं सावरकर नीचे उतर आये। अचानक ग्रामोफोन के बन्द होने से मदन भड़क उठा। जोर से चिल्लाया भी, ‘‘कौन है?’’ पर उसे आज भी याद है लड़ने के लिये जैसे ही वह ग्रामोफोन की ओर मुड़ा इस दुबले-पतले शरीर के महामानव से आंखे भिड़ गई। क्या आंखें थी वो! आज भी कई बार सपने में दिखाई देतीं हैं। उस तेज के सामने धष्ट-पुष्ट पहलवानी काया का मदन भी स्तब्ध हो गया। और फिर वह कलेजे को चीरता प्रश्न, ‘क्या इसी के लिये तुम्हारी मां ने तुम्हें जन्म दिया? तुम्हारी भारतमाता परतन्त्र है और तुम मस्ती में ड़ुबे हो क्या यही तुम्हारे जीवन का उद्देश्य है?’ उस समय तो गर्दन झुकाकर उन तेजस्वी आंखो ं के अंगारों से दूर चला गया मदन पर प्रश्न मन में कौंधता रहा। और फिर उसी में से जीवन का उद्देश्य भी मिला और प्रेरणा भी। मदन क्रांतिगंगा में सम्मिलित हो गया। अनेक परीक्षाओं के बाद आज उसे अंतरंग मंत्रणा में बैठने का पहला अवसर मिला था। बैठक के तर्क तो उसे कुछ कुछ समझ आये थे। पर उससे अधिक समझ में आयी थी कार्य की अनिवार्यता। मन में तो ठान ही लिया।
‘सावरकर, व्यक्ति बलिदान के लिये कब तैयार होता है?’ प्रगटतः तो मदनने केवल यही प्रश्न पूछा।
सावरकरने कहा, ‘मदन ये जोश का काम नहीं है। इसके लिये आंतरिक प्रेरणा चाहिये। नारे लगाने की वीरता नहीं है यह इसमें योगेश्वर कृष्ण सा गाभ्भीर्य चाहिये।’
‘मैने कब कहा कि मै कुछ करने वाला हूँ। समिति के निर्णय से मै सहमत हूँ कि अभी ऐसी किसी योजना की आंच समिति पर नहीं आनी चाहिये। ये क्रांतिकारियों की बड़ी योजना में बाधक होगा। मै तो केवल सैद्धांतिक प्रश्न पूछ रहा हूँ कि व्यक्ति बलिदान के लिये कब तैयार होता है?’
‘जब वह स्वयं प्रेरणा से ठान ले तब!’ सावरकर ने भी संक्षिप्त सा उत्तर दिया। मदन ने कैसे समिति से अपना सम्पर्क तोड़ दिया, कैसे अकेले तैयारी की और कैसे दुष्ट कर्जन वायली को मृत्युदण्ड की सजा दी। ये तो सब आ�¤ œ नहीं बतायेंगे। आपको मदनलाल धींगरा की जीवनी में ये सब स्वयं पढ़ना पड़ेगा। आज तो ये प्रसंग इसलिये चल पड़ा क्योंकि चरित्र निर्माण की कड़ी में आज का विषय है, लक्ष्यवेध का प्रथम आंतरिक साधन - प्रेरणा।
प्रेरणा ही जीवन बदल देती है। इसी प्रेरणा के द्वारा मस्ती में ड़ूबा युवा योगेश्वर का सामथ्र्य प्राप्त कर मातृभूमि पर बलिदान होने का सौभाग्य प्राप्त करता है। गंगा के तट पर एअर फोर्स में प्रवेश परीक्षा में असफलता के कारण निराशा में आत्मघाती विचारों में बैठै अब्दुल को कोई स्वामी शिवानन्द मिल जाता है। गीता की प्ररणा दे जाता है और भारत को मिसाइल मैन मिल जाता है। 1965 के युद्ध में अपने स ब साथियों के बलिदान के बाद स्वयं को ही जीवित बचा देख जीवन से हताश सेना के सीधे-साधे ड्राइवर को अहमदनगर के स्टेशन पर चने की भुंगळी में स्वामी विवेकानन्द के कर्मयोग का कागज पढ़ने को मिलता है और जीने की प्रेरणा मिल जाती है। भारत के निराश यौवन को नया गांधी मिल जाता है। अन्ना हजारे स्वयं लाखों की प्रेरणा बन जाते है।
प्रत्येक सफलता का कारण प्रेरणा ही होती है। तुलसी और कालिदास के जीवन में पत्नि से मिली झिड़क का अपमान कवित्व की प्रेरणा बन रसधारा में बह उठता है। तो माता से पिता की गोद छिन जाने का अपमान धृव की अड़ीग साधना की प्रेरणा बन जाती है।
सतर्क मन में ही अधिक कुतर्क आते है। आजके आधुनिक विज्ञाननिष्ठ युवा के मन में कुलबुला रहे प्रश्न को हम जानते है। आप पूछे इससे पहले हम ही पूछ लेते है, ‘क्या प्रेरणा के लिये हमे भी किसी घटना की प्रतीक्षा करनी होगी? मदनलाल, ए पी जे या अन्ना के समान सकारात्मक या तुलसी या धृव के समान अपमानकारक?’
निश्चित ही यह नहीं हो सकता कि प्रत्येक के जीवन में किसी हादसे से ही प्रेरणा का जागरण हो। वास्तव में हम सबके जीवन में प्रेरणा तो कार्य कर ही रही होती है। बिना प्रेरणा के कोई भी कार्य सम्भव नहीं किन्तु जब जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सके ऐसी तगड़ी प्रेरणा की बात करनी हे तो उसका वैज्ञानिक विधि से विकास किया जा सकता है। शिवाजी, स्वामी विवेकानन्द जैसे महापुरूषों के जीवन में यह संस्कारà ��ं से विकसित स्थायी प्रेरणा कार्य करती हुई दिखाई देती है। माता जिजाउ तथा गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस की शिक्षा पद्धति आज भी सभी अभिभावकों व शिक्षकों के लिये आदर्श है। उस शिक्षा-विज्ञान पर फिर किसी और प्रयोजन में बात होगी। आज तो प्रेरणा के विकास का विज्ञान देखते है।
प्रेरणा भाव से उत्पन्न होती है विचार से नहीं। किन्तु आज के युग में हम इतने तार्किक हो गये है कि कई बार विचार ही भाव का ट्रीगर बन जाते है। प्रेरणा कुछ पाने की भी हो सकती है और कुछ देने की भी। पद, पैसा, प्रतिष्ठा पाने की प्रेरणा जीवन की प्रतिस्पद्र्धा में इन्धन का काम करती है। व्यावसायिक लक्ष्यसिद्धि में यह सहायक भी होती है। पर देखा गया है कि यह स्थायी नहीं होती और असफलता में घोर हता�¤ �ा का कारण बनती है। अनेक सम्पन्न लोगों के जीवन में रिक्तता के कारण पैदा हुए विषाद (Depression) में हम इसे देख सकते है। अनेक रोगों को भी ये जन्म देती है।
देने की पे्ररणा अधिक स्थायी और प्रभावी होती है। परिवार को आधार अथवा सम्मान प्रदान करना, समाज में कुछ योगदान देना, ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में नये अविष्कार करना, देश की रक्षा, सेवा व सम्मान में अपनी आहुति देना ये प्रेरणा के तत्व बड़ें जीवनलक्ष्य के वेध में सहायक हो सकते है। एक व्यक्ति के जीवन में ये दोनों पे्ररक तत्व कार्य कर रहे हो सकते है। जैसे एक खिलाड़ी पैसे और प्रतिष्ठा के लिये तो खेलता ही है पर उसका सर्वोत्तम तो तब प्रगट होता है जब वह अपने देश के सम्मान के लिये खेलता है। विम्बल्डन व अमेरिकन ओपन जैसी प्रतियोगिताओं में प्रचण्ड पुरस्कार राशि की प्रेरणा के होते हुए भी दूसर�¥ ‡ राउण्ड से आगे ना जा पाने वाले भारतीय टेनिस खिलाड़ी देश के लिये खेलते हुए डेविस कप में विश्व के उंचे से उंचे खिलाडियों को मात दे देते है। इसके पीछे के रहस्य के बारे में पूछने पर, ‘कुर्सी पर बैठा रेफरी हर अंक में भारत का नाम लेता है, तो मेरा हर अंक भारत को समर्पित है ये बात खेल को अलग ही स्तर पर ले जाती है’ ऐसा बताते है।
हम भी भाव के उचित संस्कार से अपनी प्रेरणा को राष्ट्रार्पित कर सकते है। इसी से हमारा सर्वोत्तम प्रगट होगा। इसके लिये देशभक्ति गीत, देशभक्तों की जीवनियों का पठन, संकल्पपूर्वक देश के लिये प्रतिदिन कुछ करना यह उपाय है।
एक और बात पोषक वातावरण में ही प्रेरणा का विकास होता है। इसलिये सही संगत भी अत्यावश्यक है। हमारी प्रेरणा का विस्तार देश के स्तर तक होने के लिये आवश्यक है कि हम ऐसे भाव वाली टोली का हिस्सा बनें। अथवा ऐसी टोली बनायें। प्रेरणा के स्रोत माता-पिता, गुरु, मित्र, सम्बन्धी कोई भी बन सकते हैं पर इसका सुनिश्चित स्रोत तो हम स्वयं ही है। अतः प्रेरणा तो वही स्थायी है जो स्वयंप्रेरणा हो। इस के विकास के लिये नित्य आत्मावलोकन आवश्यक है। रोज सोने से पूर्व 5 मिनट भारतमाता का ध्यान करे और फिर स्वयं के दिन की समिक्षा करें।( Courtesy - Uttarapath)

Tuesday, 29 November 2011

राजस्थान सिन्धी अकादमी

 नरेष कुमार चन्दनानी द्वारा सिन्धी अकादमी के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण

जयपुर, 28 नवम्बर (वि.) । राजस्थान सिन्धी अकादमी के अध्यक्ष पद पर श्री नरेष कुमार चन्दनानी ने अकादमी कार्यालय में आयोजित सादे समारोह में कार्यभार ग्रहण किया। कार्यभार ग्रहण के अवसर पर पूर्व न्यायाधिपति इन्द्रसेन ईसरानी, प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री चन्दन सुखानी एवं समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे ।

वक्ताआंे ने अपने सम्बोधन में माननीय मुख्यमंत्री महोदय श्री अषोक गहलोत के प्रति आभार प्रकट करते हुये कहा कि माननीय मुख्य मंत्री जी ने सिन्धी समाज की सेवा में समर्पित एक कर्मठ एवं युवा को अकादमी अध्यक्ष की बागडोर सौंपी है, अकादमी श्री चन्दनानी के नेतृत्व में सिन्धी कला, संस्कृति एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन में नये आयाम स्थापित करेगी। श्री चन्दनानी ने अपने सम्बोधन में उपस्थित महानुभावों को विश्वास दिलाया कि उन्हें जो महत्वपूर्ण दायित्व सौपा है उसे वह समाज के सहयोग से सफलतापूर्वक फलीभूत करेंगे ।

समारोह मंे सिन्धी समाज के लगभग 100 गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अकादमी सचिव दीपचन्द तनवाणी ने आगुन्तकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।




(दीपचन्द तनवाणी)
सचिव

Monday, 28 November 2011


हरीशेवा धाम उदासीन आश्रम, भीलवाड़ा
दिनांक - 27.11.2011
सिन्धी समाज का राजनैतिक मांगो के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न
हरि शेवा धाम के महंत हंसराम उदासी ने हिस्सा लिया

सिन्धी समाज का राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 25 नवम्बर 2011 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में ’’सिन्धी समाज की राजनैतिक मांगे’’ विषय सहित विभिन्न मुद्दो पर चर्चा हुई। दिल्ली प्रदेश सिन्धी समाज (पंजी.) द्वारा आयोजित इस  कार्यक्रम के संयोजक श्रीकान्त भाटिया, अंजली तुलस्यानी, सुदेश सचदेवा, महेश राजानी थे।
इस सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री अंबिका सोनी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी, पूर्व मंत्री व राज्यसभा सदस्य, एडवोकेट राम जेठमलानी, अशोक अंशवानी, स.पा. प्रत्याशी गोविन्द नगर लोकसभा क्षेत्र कानपुर, जयप्रकाश अग्रवाल काग्रेंस सांसद, जसपाल सिंह सदस्य काग्रेंस कमेटी, सुरेश केसवानी, मनोज राजानी देवास सहित विभिन्न संस्थाओं, सामाजिक व राजनैतिक संगठनो के पदाधिकारी, कार्यकर्ता व प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य वक्ता भीलवाड़ा से हरिशेवा धाम के महंत स्वामी हंसराम उदासी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि -
सिन्धीयों का अपना कोई राज्य नहीं होने से सिन्धी संस्कृति लुप्त हो रही है, जबकि विभाजन से पूर्व सिन्धी सिन्धु नदी के किनारे बसे हुए थे। सरकार को नदी के किनारे यथा म.प्र. में नर्बदा किनारे, उ.प्र. में गंगा किनारे, अथवा मध्य भारत में अन्यत्र कहीं भी नदी किनारे 1000 से 1500 एकड़ जमीन सिन्धु संस्कृति के विकास के लिए प्रदान करनी चाहिए, जहाँ सिन्धु तीर्थ विकसित हो।
सिन्धी जाति को ओबीसी अथवा अल्पसंख्यक का दर्जा मिलते हुए सभी लाभ मिलने चाहिए। आज सिन्धी समाज में आधे से ज्यादा लोग ठेला, मजदूरी से मेहनत करके अपना जीवन निवर्हन कर रहे है। इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रखना चाहिए। सरकार सबके लिए समान है। 
सरकार को साहित्य अकादमी के लिए लगभग 50 करोड़ का बजट रखना चाहिए, जिससे लुप्त हो रही सिन्धु संस्कृति व सभ्यता के विकास एवं संवर्द्धन हेतु विभिन्न कार्य किये जा सके।
प्रतिवर्ष सिन्धी तीर्थ यात्री जो लेह (लद्दाख) जाते है, उनको अन्य समाज के धार्मिक यात्रियों की तरह अनुदान मिलना चाहिए, जिससे कि निम्न एवं मध्यम वर्गीय भी तीर्थ यात्रा पर जाकर सिन्धु नदी उद्गम स्थल का दर्शन कर सके।
एकता के लिए सिन्धी समाज को अपनी राजनैतिक पार्टी का गठन करना चाहिए, देश में जहाॅ भी सिन्धी बाहुल्य क्षेत्रों हो, वहाॅ से हर प्रकार के राजनैतिक चुनावों में सिन्धी प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए, जिससे विभिन्न स्तरों पर सिन्धी समाज को राजनैतिक सरंक्षण प्राप्त होगा। सिन्धी प्रत्याशी के विभिन्न सदनों में पहुंचने से सिन्धी समाज की विभिन्न उचित समस्याओं के निराकरण में सहायता प्राप्त होगी। जो कि वर्तमान परिपेक्ष में यह कदम आने वाली पीढ़ी के लिए काफी कारगर सिद्ध होगा।
श्री लालकृष्ण आडवानी, पूर्व उप प्रधानमंत्री ने सिन्धी भाषा व संस्कृति को बचाए रखने हेतु विभिन्न योजनायें बनाये जाने पर बल दिया। 
श्री वासुदेव देवनानी, विधायक अजमेर ने कहा कि नई पीढ़ी को सिन्धियत की जानकारी के लिए शिक्षा के विभिन्न पाठ्यक्रमों में सिंध के इतिहास को शामिल करना चाहिए। पाकिस्तान में सिन्धीयों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है, वे भारत आना चाहते है। इस हेतु भारत सरकार को उन्हें नागरिकता प्रदान करनी चाहिए व विभिन्न सहुलियतें उपलब्ध करानी चाहिए तथा सभी राज्यो में सिन्धी अकादमी के गठन पर बल दिया।
श्री श्यामसुदंर रोहरा, उपाध्यक्ष उ.प्र. सिन्धी समाज ने कहा कि सिन्धी समाज बंटवाड़े के समय सिन्ध से भारत आकर बस गये थे, तब उनको यह आश्वासन दिया गया था कि सिन्धी समाज को उचित स्थान व सम्मान प्रदान कराया जायेगा, किन्तु ऐसा नहीं हुआ। अब सिन्धी समाज मुख्य धारा से अलग होता नजर आ रहा है। इस हेतु उचित हो तो सुप्रीम कोर्ट में भी गुहार करनी चाहिए। 
तत्कालीन स.पा. सरकार ने 68 जिलो में सिन्धी सभा की स्थापना कराई। वक्फ बोर्ड व अन्यों की भांति प्रत्येक जिले में राज्य सरकारों द्वारा सिन्धी सभा की स्थापना हो, जिससे सिन्धी संस्कृति का विकास हो सके। कुछ राज्यो में चेटीचण्ड पर्व पर अवकाश घोषित है, इसी प्रकार केन्द्र सरकार व शेष राज्यों द्वारा चेटीचण्ड पर्व पर अवकाश की मांग की गई। 
इसके अलावा सम्मेलन में सिन्धी जाति को राज्यहीन जाति घोषित, केंद्र व राज्य की सरकारी संस्थाओं व निगमों तथा राज्य सभा व लोकसभा में सिन्धी समाज को प्रतिनिधित्व देने, राष्ट्रीय सिन्धी समाज बोर्ड, दिल्ली में सिन्धु भवन का निर्माण, दूरदर्शन पर सिन्धी चैनल, राज्यों में सिन्धी अकादमी, दादा जश्न वासवानी, पंकज आडवानी को भारत रत्न सहित विभिन्न मांगो पर चर्चा की गई।
केन्द्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने आश्वासन दिया कि दूरदर्शन पर सिन्धी चैनल शुरू किया जायेगा तथा अन्य बिन्दुओं हेतु उचित कार्यवाही सरकार के स्तर पर कराये जाने का प्रयास किया जायेगा।

Monday, 14 November 2011

हरिशेवा धाम भीलवाड़ा आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी



भीलवाड़ा। 13 नवम्बर,  ’’महाराज दाहरसेन का बलिदान आज के सन्दर्भ में उतना ही प्रासंगिक है, क्योंकि आज भी हिन्दुस्तान पर विदेशी हमले निरन्तर जारी है, किन्तु हमारी राष्ट्र भावना, एकता मिलकर हमेशा मुहं तोड़ जवाब देती है। ऐसे वीर महापुरूषों के जीवन से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी एवं सिन्ध पुनः मिलकर अखण्ड भारत का स्वरूप बनेगा।’’


उक्त विचार सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1300 वें बलिदान वर्ष के उपलक्ष में हरिशेवा धाम भीलवाड़ा आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व सांसद श्री औंकारसिंह लखावत ने प्रकट किये।
इस अवसर पर हरिशेवा धाम भीलवाड़ा के श्रीमहंत हंसराम साहब ने आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि ’’सनातन संस्कृति की हम सबको जोड़ कर राष्ट्र रक्षा के लिये प्रेरित करती है एवं युवा पीढ़ी ऐसे वीर महापुरूषों के बलिदान से ही देश भक्ति का जज्बा मिलता है।’’
गोष्ठी में नगर परिषद भीलवाड़ा के सभापति अनिल बल्दवा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसे भव्य प्रेरणा केन्द्र की स्थापना भीलवाड़ा में भी शीघ्र की जावेगी।
अ.भारतीय सिन्धी साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी श्यामदास व प्रेम प्रकाश आश्रम अजमेर के स्वामी ब्रह्मानंद शास्त्री ने भी आशीर्वचन प्रदान किये।
गोष्ठी में उदयपुर के श्री श्यामसुंदर भट्ट, राजस्थान सिन्धी अकादमी जयपुर के सचिव दीपचंद तनवाणी, नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष श्री लक्ष्मीनारायण डाड, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नवलराय बच्चाणी, प्रदेश महामंत्री डॅा. वासुदेव केसवाणी, श्री मोहनलाल वाधवाणी, श्री गोविन्द रामनाणी, चांदमल सोमाणी सहित कई वक्ताओं ने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का शुभारम्भ जगतगुरू श्रीचन्द्र भगवान व महाराजा दाहरसेन के चित्र के समीप दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। स्वागत भाषण सभा के जिलाध्यक्ष श्री कैलाश कृपलाणी व प्रदेश अध्यक्ष श्री लेखराज माधु ने आभार प्रकट किया। संचालन प्रान्त मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया। श्री कैलाश जीनगर व सुरेश हिन्दुस्तानी ने संगठन गीत प्रस्तुत किये।
सभी अतिथियों व पधारे हुए प्रतिनिधियों का हरिशेवा धाम की ओर से रूद्राक्ष माला व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया। गोष्ठी में पूर्व विधायक बंशीलाल पटवा, स्वतंत्रता सैनानी श्री इसर सिंह बेदी, श्री भगवान मनवाणी, श्री रमेश सबनाणी, श्री विनोद झुर्राणी, श्री दीपक गुरनाणी, दैनिक हिन्दु (सिन्धी) के प्रधान सम्पादक श्री हरिश वर्याणी, एम.टी. भाटिया, जय कुमार चंचलाणी, सुरेश कटारिया,किशनलाल ककवाणी सहित प्रदेश के विभिन्न इकाईयों के कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।

Wednesday, 26 October 2011

हरि सेवा धाम आश्रम मे संगोस्ठी !


आवश्यक सूचना 
दिनाक  13 नोवेम्बेर 2011 को प्रातः 10 से दोपहर 01 बजे तक भीलवारा  के श्री हरि सेवा धाम आश्रम मे सिन्धुपति महाराजा दाहिर  सेन के 1300 वें बलिदान वर्ष पर संगोस्ठी !
परिवारजनो एवं ईष्ठ मित्रो सहित जरूर पधारे. 

Friday, 30 September 2011


पूजनीय श्री महन्त बाबा मनोहरदास साहिब का ७७ वां प्राकट्य महोत्सव


श्रीगणेशाय नमः                                         श्री श्री श्री चन्द्राय नमः



श्री ईश्‍वर मनोहर उदासीन आश्रम
बाबा ईसरदास कॅालानी  अजय नगर अजमेर


अजमेर – ३०  सितम्बर  - पूजनीय श्री महन्त बाबा मनोहरदास साहिब का ७७ वां प्राकट्य महोत्सव (जन्म दिन ) तीन दिवसीय  आगामी १८ १९ व २०  अक्टूबर २०११  को  श्री ईश्‍वर मनोहर उदासीन आश्रम अजय नगर में आयोजित किया जायेगा ।
        मन्दिर के महन्त स्वरूपदास  ने जानकारी देते बताया कि १८  अक्टूबर को नितनेम व अखण्ड पाठ साहिब का आरम्भ किया जायेगा एवं शाम  को सत्संग प्रवचन किये जायेगें । १९  अक्टूबर को नितनेम  संतस्सग प्रवचन व सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा २० अक्टूबर को झण्डा साहिब धर्म ध्वजा अखण्ड पाठ साहिब का भोग प्रसाद व आम भण्डारा का आयोजन किया गया है ।  
        महोत्सव  में देश विदेश  से भक्तगण व श्रद्धालु पधार रहे हैं । इस अवसर पर मन्दिर की विषेश साज सज्जा की गई एवं विद्युत सजावट भी की गई है ।

                                               आज्ञा से स्वामी जी
9414259513

Tuesday, 27 September 2011

संत हिरदा राम के जीवन पर नाटक



नवयुवक कला मण्ड़ल, बीकानेर
संत हिरदा राम के जीवन पर नाटक  श्किरपा करे करतार का मचंन हुआ।

बीकानेर 27 सितम्बर 2011। साधु वासवानी सेंटर के तत्वाधान में नवयुवक कलामण्डल बीकानेर की ओर से गत 18 सितम्बर को रथखाना काॅलोनी स्थिति सिध्ंाी धर्मशाला में सतं हिरदाराम के जीवन पर आधारित नाटक श्किरपा करे करतारश् का मचंन वरिष्ठ रंगकर्मी सुरेश हिन्दुस्तानी  के निर्देशन में किया गया। ध्वनी एवं प्रकाश तकनीत पर आधारित 1 घण्टे की इस नाटय प्रस्तुति में संत हिरदाराम के जीवन के प्रमुख प्रसंगो को दिखाया गया। नाटक में नानक हिन्दुस्तानी, लक्ष्मण चन्दाणी, संदीप खत्री, फणीश्वर खत्री, जय किशन केशवानी, काजल खत्री, रितेश रम्माणी, करण रामनानी, जितेन्द्र भम्माणी, जय खत्री, चन्द्र प्रकाश वाधवानी, जय प्रकाश केशवानी, अमित लोकवानी, निखिल रम्माणी, आदित्य चंदानी आदि ने प्रभावी अभिनय किया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खेमचंद मूलचंदाणी थे तथा अध्यक्षता आसनदास तुलसयानी ने की। निर्माण प्रबन्धक हरीश बालाणी ने बताया कि इस नाटक के आगे भी अनेक मचंन किऐ जाऐगें।

          सुरेश हिन्दुस्तानी

Wednesday, 14 September 2011

सिन्ध मे अब हिन्दुस्तानी नही बल्कि चीनी भाषा पढ़ना जरूरी है


                      सिन्ध मे अब हिन्दुस्तानी नही बल्कि चीनी भाषा पढ़ना  जरूरी है 
FOR INFORMATION.....
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सरकार के लिए चीनी भाषा से 2013 स्कूलों में एक अनिवार्य विषय बनाने का फैसला किया है,
 
By now it is a known fact that Chinese have got more and more bolder thanks to 2 important factors. Lack of strategy by Indian Government to counter Chinese incursions not just into Tibet but also into PoK with the help of Pakistan government, which has shifted allegiance towards China after US stopped financial aid to Pakistan.

This recent report shows how far their relationship has grown.

http://www.ndtv.com/article/world/chinese-to-be-made-compulsory-in-sindh-schools-131404

Islamabad:  The government in Pakistan's Sindh province has decided to make the Chinese language a compulsory subject in schools from 2013, sparking a debate in the educational and political circles over the reasons behind such a move.

The decision was taken at a high level meeting yesterday presided over by Chief Minister of Sindh province Qaim Ali Shah, an official statement said.

According to the announcement, Chinese will be a compulsory subject from class six in all educational institutions, including the Cadet college of Petaro from the 2013 session.

Sindh Education Minister Pir Mazhar-ul-Haq said the decision was taken keeping in mind the close ties with China and its growing role as a economic giant in the world.

"Our trade, educational and other relations are growing with China everyday and now it is necessary for our younger generation to have command over their language," Mazhar said.

He pointed out that this move would reap benefits in the longer run for Pakistan.

The move drew a mixed reaction in education circles, although the Vice Chancellor of the Karachi University Dr Peerzada Qasim supported the decision.

"China is not only a very close friend of Pakistan but also a major player in the global economy whose role will further strengthen in the future," he said.

But many termed it as a political decision and said that educational institutions lacked qualified teachers in the Chinese language and also the resources to implement the course.

Ather Mirza, the President of the Sindh Professors and Lecturers Association, said it was a move by the political leadership to gain points with China and gain financial benefits from them.

He said the introduction of the Chinese language would not only put an additional burden on parents, but also on students, who were already made to learn three languages - English, Urdu and Sindhi - as compulsory subjects.

Another educationist said the government decision came out of the blue as it was not discussed or debated in recent meetings of the education department with the chief minister or education minister.

It is reported that President Zardari's daughter Aseefa Bhutto has been planning to study Chinese in China after graduating from college.

Sources said that the provincial government also decided to award scholarships to educated people of Sindh for learning Chinese at educational institutions in China.

Hari Om

Om...
 
WITH PRAYERS AND BEST WISHES,
 
SWAMI PARAMATMANANDA SARASWATI

Tuesday, 13 September 2011

राजस्थान सिन्धी अकादमी पारा कहाणी ऐं एकांकी आलेख चटाभेटी

कहाणी ऐं एकांकी आलेख चटाभेटी
जयपुर  13 सितम्बर (वि.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी उभिरन्दड़ कलाकारनि/लेखकनि ऐं स्थापित साहित्यकानि लाइ अखिल भारत ऐं राज्य सतह ते कहाणी ऐं एकांकी आलेख चटाभेटियुनि जो आयोजन करे रही आहे। जहिंमें तव्हां साहिबन खे हिसो वठण लाइ नींड दिनी थी व´े। योजनाउनि जी तफसील हेठि जाणायल आहे।

1  उभिरन्दड़ कलाकारनि ऐं लेखकनि लाइ अखिल भारत/राजस्थान सतह ते कहाणी ऐं एकांकी आलेख चटाभेटी


(अ)   कहाणी आलेख चटाभेटी लाइ आलेख जूं टे कापियूं मोकिलिणयूं आहिन। बिन ते नालो लिखियल न हुजे-हिक ते नालो ऐं पूरो पतो हुजे। आलेख टाईप कयल/साफु-सुथिरनि अखरनि में अरबी/देवनागरी लिपिअ में लिखियल हुजे। सभिनी आलेखनि खे पहिंरी अखिल भारत सतह ते ध्यान में रखिबो-जहिं में टे इनाम दिना वेन्दा। पहिरियूं इनाम 3000/-  -, बियो इनाम 2500/-   ऐं टियूं 2000/- इन खां पोइ बाकी बचियल आलेखनि मां राजस्थान जे लेखकनि जा आलेख चटाभेटीअ लाइ ध्यान में आणिबा। राजस्थान सतह ते बि टे इनाम दिना वेन्दा-पहिरियूं 2000/-  बियो 1500/-  ऐं टियों इनाम 1000/-, को बि आलेख किताब जे रूप में पहिंरी छपियल न हुजे।

(ब)    उभिरन्दड़ लेखक जी उम्र 31.08.2011 ते 40 चालीह सालनि खां मथे न हुजे। उम्र जे सबूत में स्कूल जे प्रमाण-पत्र/बोर्ड जे प्रमाण-पत्र जी प्रमाणित प्रति लगाइण जरूरी आहे। बियो को बि सर्टीफिकेट मान्य न थींदो। सबूत जे अभाव में आलेख चटाभेटीअ में शामिल न कयो वींदो।

(स)   एकांकी आलेख चटाभेटी में बि मथे जाणायल तरीके मूजिब नियम लागू थीन्दा । एकांकी स्टेज ते 20 खां 30 मिनिटनि जे मंचित समय जी हुजे।

2  स्थापित साहित्यकारनि लाइ अखिल भारत/राजस्थान सतह ते कहाणी ऐं एकांकी आलेख चटाभेटी

(अ)   हिन चटाभेटीअ में चालीह सालनि खां वदीअ उम्र वारा साहित्यकार बहिरो वठी सघनि था।
(ब)    बाकी नियम, इनामनि जी राशि ऐं तादाद मथियें वांगुरू ई रहन्दी।

शर्तू:

1       लेखक पारां लिखित घोषणा दियणी आहे त हीअ संदसि मौलिक रचना आहे ऐं हिन खां अगु कहिं बि सरकारी या गैर सरकारी संस्था पारां इनाम कोन मिलियल आहे। नियमनि जी मं´िकरी करिण वारे खां वसूली ऐं अकादमी पारां ब्लैक लिस्टेड कयो वेन्दो।

2       उभिरन्दड़ कलाकारनि/ साहित्यकारनि/ लेखकनि लाइ जिन जी उम्र  31.08.2011 ते 40 सालनि खां वधीक न हुजे अखिल भारत/राजस्थान सतह ते कहाणी ऐं एकांकी आलेख चटाभेटी में उहे ही बहिरो वठी सघनि था।

3       लेखक जी हीअ मूल रचना पहिंरी किथे बि पुरस्कृत थियल न आहे जो सर्टीफिकेट दियणु जरूरी आहे ।
       
4       स्थापित साहित्यकार उभिरन्दड़ लेखकनि जी चटाभेटीअ में बहिरो न वठी सघन्दा। बाकी सब नियम सागिया ही आहिन ।

5       इनाम अकादमी जे सालियाने जलसे में इनाम खटन्दड़नि खे घुराये दिना वेन्दा। जहिं लाइ खेनि रेलवे जो सैकिण्ड क्लास स्लीपर/एक्सप्रेस बस जो ओट-मोट जो भाड़ो दिनो वेन्दो। इनाम जी राशिअ सां गदु प्रमाण-पत्र ऐं स्मृति चिन्ह पिण दिना वींदा ।

6       आलेख अकादमी आफिस में 15 नवम्बर  2011 ताई पहुंचण जरूरी आहिन। देर सां पहुतल दरख्वास्त ते वीचार न कयो वेन्दो ।

7       वधीक जाण हासिल करिण लाइ अकादमी आफिस जे दूरभाष संख्या 0141-2228399 ते सम्पर्क करे सघिजे थो।


दीपचन्द तनवाणी
सचिव 

Monday, 12 September 2011

श्रीमद्भागवत महापुराण रथयात्रा का पूर्णाहुती समारोहपूर्वक हरिद्वार में सम्पन्न


अखिल भारतीय सिन्धी साधु समाज की ओर से 25 मार्च 2011 को तीर्थराज पुष्कर से आरंभ हुई श्रीमद्भागवत महापुराण रथयात्रा की पूर्णाहुती का समारोह व नगर भ्रमण  हरिद्वार में शुक्रवार, 9 से 11 सितंबर को सम्पन्न हुआ।

भीलवाड़ा हरिशेवाधाम के महन्त स्वामी श्री हंसराम उदासी ने बताया कि सुबह दस बजे ज्योति प्रज्ज्वलित कर रथ यात्रा समापन समारोह का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर देशभर से आए सिंधी साधु समाज के सदस्य साधु-संतों का स्वागत किया गया। शाम को हरकी पौड़ी में बिरला टॉवर के पास सांस्कृतिक व धार्मिक संध्या आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न संतों के प्रवचन हुए और संगीतमय कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिसे सुन कर श्रोता भावविभोर हो उठे।
इस अवसर पर प्रसिद्ध कथा वाचक श्री रमेष भाई ओझा ने कहा कि श्रीमदभागवत महापुराण का सिंधी भाषा में प्रकाषन बहुत ही सराहनीय प्रयास है। इससे श्रीमदभागवत का ज्ञान सिंधी समाज के भक्तजन तक पर भी पहुंचा है। स्वाभाविक रूप से इससे युवा पीढी को सनातन संस्कृति का ज्ञान भी होगा।

स्वामी श्री हंसराम जी महाराज बताया कि शनिवार, 10 सितंबर को सुबह 11 बजे से संतों की बैठक हुई। इसमें मुख्य रूप से श्रीमद्भागवत महापुराण (सिंधी देवनागिरी  लिपी) के पुनः प्रकाशन और उसके वितरण पर विचार किया गया। बैठक में सनातन धर्म के अन्य शास्त्रों के सिंधी भाषा में अनुवाद और उनके प्रकाशन पर भी चर्चा की गई।
समारोह में राष्ट््रीय महामंत्री स्वामी ष्यामदास (किषनगढ), ईष्वर मनोहर उदासीन आश्रम (अजमेर) के महंत स्वामी स्वरूपदास जी, सहित भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट््रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी, प्रान्त मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, महानगर मंत्री मोहन तुलस्यिाणी, सिन्धी सेन्ट््रल पंचायत के महासचिव गिरधर तेजवाणी, भगवान कलवाणी, अजमेर सिंधी समाज के संयोजक कंवलप्रकाष किषनाणी, तुलसी सोनी, समाजसेवी भवानी थदाणी सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि यात्रा का शुभारम्भ इसी साल 25 मार्च को जगतपिता ब्रह्मा की पवित्र नगरी पुष्करराज से किया गया और मुख्य आयोजन अजमेर में 26-27 मार्च को श्री वृदंावन धाम, आजाद पार्क में अजमेर सिंधी समाज के सहयोग से किया गया। इस रथयात्रा पूरे भारत वर्ष में भ्रमण किया। लगभग एक माह तो 11 हजार किलोमीटर चल कर राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर धार्मिक आयोजन किए गए। इसके बाद देश के अनेक राज्यों में इसका भ्रमण हुआ।

(गिरधर तेजवाणी)
प्रवक्ता
92140 88055

Tuesday, 6 September 2011

राजस्थान सिन्धी अकादमी की ओर से निःषुल्क कोचिंग

सिविल सेवा परीक्षा एवं राज्य अधीनस्थ सेवाओं की प्रतियोगी
परीक्षाओं हेतु सिन्धी विषय की निःषुल्क कोचिंग


जयपुर, 6 सितम्बर (वि.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी की ओर से संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा एवं राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य अधीनस्थ सेवाओं (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा) की प्रतियोगी परीक्षाओं में ’’सिन्धी’’ ऐच्छिक विषय लेने वाले अभ्यर्थियों हेतु संत कंवर राम सी0सै0स्कूल, आषा गंज, अजमेर में कोचिंग कक्षायें प्रारम्भ की जा रही है।

अकादमी अध्यक्ष श्री प्रकाष टेकवाणी ने बताया कि अकादमी द्वारा उक्त दोनों प्रतियोगी परीक्षाओं में ’’सिन्धी’’ ऐच्छिक विषय ग्रहण करने वाले अभ्यर्थियों की सुविधा के लिये यह कोचिंग कक्षायें प्रारम्भ की जा रही है। इन कक्षाओं में सिन्धी के विषय विषेषज्ञों द्वारा निःषुल्क सेवायें दी जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि उक्त दोनों प्रतियोगी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम के अनुसार अकादमी द्वारा पुस्तकों का संग्रहण भी किया गया है, जो कि अकादमी के कार्यालय में उपलब्ध है।

अकादमी सचिव ने बताया कि कोचिंग कक्षाओं का लाभ प्राप्त करने के इच्छुक अभ्यार्थीगण अकादमी कार्यालय के दूरभाष संख्या 0141-2228399 एवं सुश्री सरस्वती मूरजाणी, प्राचार्य, संत कंवरराम स्कूल, अजमेर के दूरभाष संख्या 0145-2460008 से सम्पर्क कर अपना पंजीकरण करा सकते हैं ।

(दीपचन्द तनवाणी)
सचिव

Sunday, 28 August 2011

Akhil Bhartiya Sindhi Sadhu Samaj

Thursday, 25 August 2011

                                                  सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन समारोह समिति,अजमेर
                                                                                                                  दिनांक 25 अगस्त 2011
       
अजमेर  25 अगस्त -सिन्ध के बिना हिन्द अधूरा है , पवित्र सिन्धु नदी वहां से निकलती है तथा सभ्यता संस्कृति की ‘ाुरूआत सिन्धु घाटी से हुई वहां के ऐसे ‘ाासक सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन थे जिन्होने सदैव विदेशी आक्रमण सहे और लगातार मुकाबला करते हुये देश की सीमाओं की रक्षा करते हुये अपना  बलिदान दिया । उक्त सम्बोधन  सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन का जयन्ती कार्यक्रम के तहत  पूर्व सांसद श्री ओंकार सिंह लखावत ने कहे । नगर सुधार न्यास, नगर निगम व पर्यटन विभाग के सहयोग से समारोहपूर्वक कार्यक्रम की ‘ाुरूआत हिंगलाज माता पूजा अर्चना व महाराजा द्ाहरसेन के चित्र पर श्रद्वासुमन अर्पित किये । सर्वप्रथम कु. ममता तुलस्यिाणी ने वन्दे मात्रम, हरिसुन्दर बालिका की पूनम नवलाणी व गायत्री ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किये । पर्यटन विभाग की ओर से बून्दी के बाबूलाल, पुष्कर की ‘ान्ति देवी, अजमेर के सुरंगानन्द, कालबेलिया नृत्य व कच्ची घोडी का नृत्य मनमोहक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया । 


कार्यक्रम में राजस्थान सिन्धी अकादमी की ओर से आयोजित रंगभरो प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को समिति की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम में मोहन तुलस्यिाणी ने स्वागत भाषण व श्री कवंलप्रकाश किशनाणी ने आभार प्रकट किया एवं कार्यक्रम का  संचालन आभा भारद्वाज व महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया ।
 


कार्यक्रम में विधायक प्रो. वासुदेव देवनाणी, श्रीमति अनिता भदेल, पाषर्द खेमचन्द नारवाणी, दीपेन्द्र लालवाणी, पूर्व सभापति श्रीमति सरोज देवी जाटव, सोमरत्न आर्य, श्री नवलराय बच्चाणी, भगवान कलवाणी, राजेन्द्र लालवाणी, वेदप्रकाश जोशी, स्वतंत्रता सेनानी ईसरसिंह बेदी, सिन्धी सेन्ट््रल महासमिति के महासचिव गिरधर तेजवाणी, जयकिश पारवाणी, ईश्वर भम्भाणी, रमेश मेंघाणी, जोधा टेकचंदाणी, मनोहर मोटवाणी, कमलेश ‘ार्मा, धर्मपाल सिंह, धर्मदास मंघाणी, रमेश एच.लालवाणी, ललित देवाणी सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे । 



Monday, 22 August 2011

लेह में सिन्धु घाट पर बेहराना साहिब

Sindhu Darshan
Organised By- Bhartiya Sindhu Sabha,Delhi
27-30 Aug.2011
 DAY 01: DELHI TO LEH: 27 Aug.2011
On arrival at Leh our representative will receive you at the airport and transfer to the hotel for overnight. Complete rest and relaxation is recommended to acclimatize to rarefied air and to avoid high altitude sickness. In late afternoon, if feeling normal visit the Leh Bazar Exquisite shawls and Mask as well as local handicraft could be of interest to you. Dinner and overnight at hotel.
DAY 02: LEH AND SURROUNDINGS: 28 Aug.2011
 Visit Sindhu Ghat For Bahirana Pujan,Jhulelal Stuti Gaan & Nahan, We will visit to Spitup monastery, Hall of Fame, Stok palace & Museum, Pathar Sahib, Magnetic Hill, Indus & ZanskarSangam. Dinner and overnight at hotel.
DAY 03: LEH TO KHARDONGLA AND LEH: 29 Aug.2011
After breakfast, drive to Khardungla Pass, the highest motorable road. Return back to hotel late afternoon. At leisure.Dinner and overnight at Hotel.
DAY 04: LEH TO DELHI: 30 Aug.2011
Morning Transfer  to Airport  to board flight to New Delhi.
TOUR COST-Rs.17000/= PER PERSON
Contact For Details- MAHENDER SANPAL (PAPPA) ----------09910050252
HARI ASWANI- -----------------------------   09811142796
HEMAN DASS MOTWANI---------------- 09891816058
DEVI LAL LALWANI ----------------------- 09212238590
KAMAL KHATRI--------------------------- -  09212661495 
MANOJ GOGIA-----------------------------   09971769696